दोस्त पीते हैं सिगरेट तो क्या आप बन गए हैं ‘पैसिव स्मोकर’, मर्डर से ज्यादा होती हैं इससे मौतें; 1 मिनट में जांचे लक्षण

पैसिव स्मोकिंग यानी कि दूसरों के तंबाकू के धुएं को सांस के जरिए अंदर लेना भी उतना ही ज्यादा खतरनाक है जितना खुद धूम्रपान करना. हर साल करीब लाखों लोग इसकी वजह से जान गंवा रहे हैं, इनमें भी खासकर महिलाएं और बच्चे. सिगरेट के धुएं में हजारों जहरीले रसायन होते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं.

पैसिव स्मोकिंग यानी कि दूसरों के तंबाकू के धुएं को सांस के जरिए अंदर लेना भी उतना ही ज्यादा खतरनाक है जितना खुद धूम्रपान करना. हर साल करीब लाखों लोग इसकी वजह से जान गंवा रहे हैं, इनमें भी खासकर महिलाएं और बच्चे. सिगरेट के धुएं में हजारों जहरीले रसायन होते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. Image Credit: money9live.com

Passive Smoking: हर साल 31 मई को ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ मनाया जाता है. हममें से कई लोग मानते हैं कि अगर हम खुद सिगरेट या बीड़ी नहीं पीते, तो हम सुरक्षित हैं. जब कोई दोस्त धुआं उड़ाता है, तो हम उसे सख्त हिदायत जरूर देते हैं, लेकिन खुद को पूरी तरह सुरक्षित मान लेते हैं. जबकि हकीकत ये है कि बिना खुद तंबाकू सेवन किए भी हम पैसिव स्मोकिंग के जरिए गंभीर खतरे में रहते हैं.

क्या है पैसिव स्मोकिंग ?

जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तो उसके आसपास मौजूद लोग उस धुएं को सांस के जरिए अंदर लेते हैं. यही पैसिव स्मोकिंग है. इसे सेकंड हैंड स्मोक भी कहा जाता है. इसमें सिगरेट का मुख्य धुआं नहीं, बल्कि जलती सिगरेट और स्मोकर के सांस से निकलने वाला धुआं सांसों के जरिए शरीर में पहुंचता है. WHO के अनुसार हर साल दुनिया में करीब 13 लाख लोगों की मौत पैसिव स्मोकिंग की वजह से होती है. इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे प्रभावित होते हैं.

कैसे बनते हैं हम पैसिव स्मोकर का शिकार

भारत की 140 करोड़ की आबादी में से करीब 13 करोड़ लोग सिगरेट या बीड़ी पीते हैं. इसका मतलब है कि अगर आप दिनभर में 20 लोगों से मिलते हैं, तो उनमें से औसतन दो लोग स्मोकर हो सकते हैं. इनकी उपस्थिति में आप खुद भी जाने-अनजाने पैसिव स्मोकिंग के शिकार बन जाते हैं.

पैसिव स्मोकिंग से महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा असर

तंबाकू से हर साल लगभग 83 लाख लोगों की जान जाती है. दैनिक भाष्कर कि रिपोर्ट के मुताबिक, पैसिव स्मोकिंग से मरने वालों में 64 फीसदी महिलाएं और 28 फीसदी बच्चे होते हैं. यह आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि जो लोग खुद तंबाकू का सेवन नहीं करते, वे भी इसकी चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं.

कैसे पता करें हमारा फेफड़ा स्वस्थ हैं या नहीं?

हम एक आसान टेस्ट से अपने फेफड़ों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं. अगर हम 30 से 40 सेकेंड तक बिना सांस लिए रुक सकते हैं, तो हमारे फेफड़े फिलहाल ठीक हैं. लेकिन अगर 30 सेकेंड से पहले ही सांस रुकने लगे, तो यह खतरे का संकेत है. ऐसी स्थिति में आपको तुरंत एक्सरसाइज शुरू करने और स्मोकर लोगों से दूरी बनाने की जरूरत है.

पैसिव स्मोकिंग क्यों है ज्यादा खतरनाक

दरअसल बिना जली सिगरेट में करीब 3000 केमिकल्स होते हैं. जलने के बाद इनकी संख्या 4000 से ज्यादा हो जाती है. लेकिन जो धुआं पैसिव स्मोकर तक पहुंचता है, उसमें 7000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं. यानी एक स्मोकर खुद को जितना नुकसान पहुंचा रहा है, उससे कई गुना ज्यादा अपने आसपास के लोगों को कर रहा है.

एक सिगरेट में करीब 8 से 12 मिलीग्राम निकोटीन होता है, जिसमें से 1 से 1.5 मिलीग्राम जलने के बाद शरीर में पहुंचता है. ये निकोटीन ही टार के साथ मिलकर फेफड़ों पर काली परत बनाता है और कैंसर सहित कई बीमारियों की जड़ बनता है.

कैसे शुरू हुआ पैसिव स्मोकिंग पर रिसर्च

दरअसल साल 1979 में अमेरिका के हैरिसबर्ग के पास थ्री माइल आइलैंड न्यूक्लियर प्लांट में एक हादसा हुआ. इसके बाद इनडोर वायु गुणवत्ता पर रिसर्च शुरू हुई. 1986 में रेडॉन गैस एंड इंडोर एयर क्वालिटी एक्ट लागू हुआ. इसकी रिपोर्ट्स ने चौंकाया क्योंकि हवा में तंबाकू का धुआं, रेडियोएक्टिव गैसों से ज्यादा खतरनाक पाया गया. 1992 की रिपोर्ट Respiratory Health Effects of Passive Smoking में पहली बार खुलासा हुआ कि अमेरिका में हर साल करीब 3000 लोग सिर्फ पैसिव स्मोकिंग की वजह से मर रहे हैं. साथ ही बच्चों में अस्थमा के 20 फीसदी मामले भी इसके कारण सामने आए.

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता देश

WHO के अनुसार, तंबाकू उत्पादन और खपत के मामले में भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. देश की वयस्क आबादी का करीब 30 फीसदी हिस्सा तंबाकू उत्पादों का सेवन करता है. इसमें से करीब 13 करोड़ लोग सिगरेट या बीड़ी पीते हैं. इसका मतलब यह है कि धूम्रपान करने वाले न सिर्फ खुद के लिए, बल्कि आसपास मौजूद हर व्यक्ति के लिए खतरा हैं.

क्या करें?

अगर आप स्मोकिंग करने वालों की आदत नहीं बदल सकते, तो खुद को पैसिव स्मोकिंग से बचाइए. स्मोकिंग जोन से दूर रहें. सार्वजनिक जगहों पर जहां धूम्रपान हो रहा हो, वहां ज्यादा देर न रुकें. बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से ऐसे माहौल से दूर रखें.

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