अब अमेरिका से बैठकर क्रिप्टो फ्रॉड, 600 करोड़ रुपये की हेराफेरी, ED ने कसा शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को कहा कि उसने कई भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के माध्यम से लगभग 600 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी के अवैध कनवर्जन के खिलाफ छापेमारी की है. यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत दिल्ली, राजस्थान के जयपुर और महाराष्ट्र के मुंबई में तलाशी अभियान के रूप में की गई. ईडी की जांच में सामने आया कि सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) का इस्तेमाल करके असली वेबसाइटों की नकल बनाई जाती थी और इस तरह लोगों को धोखा दिया जाता था.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 600 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरेंसी कनवर्जन मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कई स्थानों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई है. हाल के दिनों में एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई मामलों की जांच की है और इस दिशा में कड़े कदम उठाए हैं. साथ ही, बैंकों में जमा राशि को भी फ्रीज किया गया है. आइए जानते हैं, यह कार्रवाई किन जगहों पर हुई.
क्या है मामला
प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को कहा कि उसने कई भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के माध्यम से लगभग 600 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी के अवैध कनवर्जन के खिलाफ छापेमारी की है. यह छापेमारी एक भारतीय नागरिक के खिलाफ कई राज्यों में की गई, जिसके बाद 2 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक जमा राशि को फ्रीज कर दिया गया है.
एजेंसी के बयान के अनुसार, यह मामला विभिन्न भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों में लगभग 600 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी के कनवर्जन और उसके बाद लाभार्थियों को ट्रांसफर करने से संबंधित है. ईडी ने कहा कि उसकी जांच एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई थी.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चिराग तोमर नामक एक भारतीय नागरिक क्रिप्टो एक्सचेंज वेबसाइट कॉइनबेस की नकल करने वाली फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से सैकड़ों लोगों से 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप में अमेरिका में जेल की सजा काट रहा है.
ऐसे होता था फर्जीवाड़ा
ईडी की जांच में सामने आया कि सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) के जरिए असली वेबसाइटों को इस तरह से धोखा दिया जाता था कि जब लोग उन्हें खोजते थे, तो असली के बजाय नकली वेबसाइट सबसे ऊपर दिखाई देती थी. नकली वेबसाइटें असली वेबसाइटों की हूबहू कॉपी होती थीं, बस उनका संपर्क नंबर अलग होता था.
जब लोग इन नकली वेबसाइटों पर लॉगिन करते थे, तो उन्हें गलत जानकारी दिखाई जाती थी. इससे परेशान होकर वे वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर कॉल करते थे, जो सीधे तोमर द्वारा संचालित कॉल सेंटर से जुड़ता था. एक बार ठगों को पीड़ितों के खातों की जानकारी मिल जाती थी, तो वे उनकी क्रिप्टोकरेंसी चोरी करके अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर देते थे.
ईडी ने पाया कि चोरी की गई क्रिप्टोकरेंसी को localbitcoins.com वेबसाइट पर बेचा जाता था और फिर भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के जरिए इसे भारतीय रुपये में बदला जाता था. इसके बाद, यह धनराशि तोमर और उनके परिवार के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी.
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किन जगहों पर हुई छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत 20 फरवरी को दिल्ली, राजस्थान के जयपुर और महाराष्ट्र के मुंबई में तलाशी अभियान चलाया.तलाशी के दौरान तोमर परिवार से संबंधित कई बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया, जिनमें 2.18 करोड़ रुपये जमा हैं.
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