मंदी से निपटने का मास्टरप्लान! आरबीआई सदस्य की 25 बेसिस पॉइंट्स कटौती की मांग क्यों सही?
भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी और निर्यात में गिरावट चिंता का विषय बन गए हैं. नागेश कुमार ने आरबीआई से ब्याज दर घटाने का सुझाव दिया है. क्या निजी निवेश को इससे फायदा होगा?

आरबीआई के नेतृत्व वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नए सदस्य नागेश कुमार ने अक्टूबर की बैठक के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग की कमी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि निजी निवेश में तेजी न आने के कारण अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ रही है. साथ ही उन्होंने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का समर्थन किया है.
नागेश कुमार ने कहा कि कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट और सरकारी सुधारों के बावजूद निजी निवेश में गति नहीं आई है. उन्होंने मांग की कमी को मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक क्षेत्रों में सुस्ती का मुख्य कारण बताया. इसके अलावा, भारत के निर्यात में भी 9.3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है जिससे मांग में कमी और स्पष्ट हो रही है.
रेपो रेट में कटौती की मांग
नागेश कुमार ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का समर्थन करते हुए कहा कि कमजोर मांग निवेश सुधार में बाधक है.उन्होंने यह भी कहा कि भारत में आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने की संभावना है. 2023-24 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत होने का अनुमान है. हालांकि, सरकार ने बुनियादी ढांचे पर जोर दिया है लेकिन निजी निवेश में अपेक्षित तेजी नहीं आई है.
चीन+1 स्ट्रैटेजी में संभावनाएं
नागेश कुमार ने चीन+1 स्ट्रैटेजी के तहत भारत के लिए अवसर की बात भी की. इसके तहत कंपनियां चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने भारत में ऐपल जैसी कंपनियों के निवेश का उदाहरण दिया, लेकिन यह भी चेतावनी दी कि बढ़ता जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते भारत को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए सावधानी बरतनी होगी.
भारत को अपनी औद्योगिक क्षमता और व्यापारिक माहौल को मजबूत करने की जरूरत है ताकि वह इस वैश्विक बदलाव का लाभ उठा सके.
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