अब बेंगलुरू, गुरूग्राम का गया जमाना, रांची-जयपुर-इंदौर-कोयंबटूर नए MNC Hub, जानें GCC कैसे बना बूस्टर

भारत के टियर-2 और टियर-3 शहर अब ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) के लिए नए हब के रूप में उभर रहे हैं. बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों के अलावा, इंदौर, जयपुर और भुवनेश्वर जैसे शहर भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित कर रहे हैं. अगले पांच वर्षों में भारत में खुलने वाले 1,200-1,250 नए जीसीसी में से 75 फीसदी छोटी और मध्यम आकार की फर्में होंगी. यानी 2030 तक 900 से अधिक जीसीसी खुलेंगे. इससे रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

Small Cities, Big Ambitions For GCCs Image Credit: Canva/ Money9

Small Cities, Big Ambitions For GCCs: भारत के टियर-2 और टियर-3 शहर अब ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) के लिए नए हब के रूप में उभर रहे हैं. कॉस्ट एडवांटेज, टैलेंट पूल और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों के अलावा अब इंदौर, कोयंबटूर, जयपुर , रांची और भुवनेश्वर जैसे शहर भी MNCs यानी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पसंद बन रहे हैं. यह ट्रेंड ना केवल रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है, बल्कि रियल एस्टेट और लोकल इकोनॉमी को भी बढ़ावा दे रहा है. उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत में FY24 तक 1,700 से अधिक GCC हैं, जो हर हफ्ते दो नए केंद्र खोल रहे हैं. यह सेक्टर 64.6 बिलियन डॉलर की आय और 19 लाख नौकरियां पैदा कर रहा है, जिसमें से 82,000 से अधिक नौकरियां टियर- II और III शहरों में मिल रहे हैं.

इन छोटे शहरों का बढ़ रहा दबदबा

भारत में उभरते हुए टेक्नोलॉजी हब में चंडीगढ़, जयपुर, अहमदाबाद, इंदौर, नासिक, वारंगल, हुब्बली, मंगलुरु, मैसूरु, कोयंबटूर, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, कानपुर, लखनऊ, रांची, भोपाल, ग्वालियर, गुवाहाटी, रायपुर, भुवनेश्वर, नागपुर, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, तिरुपति, वेल्लोर, मदुरई और तिरुचिरापल्ली शामिल हैं. ये शहर तकनीकी विकास के केंद्र के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

2030 तक खुलेंगे 900 GCC

ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च फर्म एवरेस्ट ग्रुप को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में भारत में खुलने वाले 1,200-1,250 नए जीसीसी में से 75 फीसदी छोटी और मध्यम आकार की फर्में होंगी. यानी 2030 तक 900 से अधिक जीसीसी खुलेंगे. इसमें टियर-2 और टियर-3 शहर जीसीसी को आकर्षित कर रहे हैं.

टियर-2 शहरों में कंपनियों को 25 फीसदी की बचत

जिनोव (Zinnov) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में टियर-2 शहरों में डिजिटल रूप से कुशल टैलेंट की संख्या में 25 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपरेशन के नजरिए से कंपनियां उभरते शहरों में स्थापित होकर रोजगार लागत पर लगभग 25 फीसदी की बचत कर सकती हैं, क्योंकि वहां अचल संपत्ति (Immovable property) की कीमतें कम होती हैं, ओवरहेड्स यानी अप्रत्यक्ष लागत कम होते हैं और स्थायी मुआवजा अपेक्षाओं के अनुकूल होती है. मास्टरकार्ड जैसी फर्म विभिन्न व्यवसायों और टैकनोलॉजी प्रोग्राम में लगभग 400 लोगों को रोजगार देता है.

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भारत के छोटे शहर सबसे आगे

देशटियर-1 (% में)टियर-2/3 (% में)
भारत16-2010-14
फिलीपींस14-1810-14
पोलैंड10-149-11
मेक्सिको10-148-12
आयरलैंड8-126-10
यूएस9-135-9
यूके5-93-7
Source – ET

सरकार दे रही प्रोत्साहन

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार टियर -2 और 3 शहरों में जीसीसी की उपस्थिति का विस्तार करने के लिए एक रोडमैप पर काम कर रही है, जिसमें टैलेंट पाइपलाइन बनाने के लिए इंडस्ट्री और अकादमिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दे रही है. केंद्र एक ऐसे मॉडल पर भी विचार कर रहा है जिसके तहत राज्यों को एक साझा पोर्टल पर लाया जा सके ताकि जीसीसी को जरूरी इजाजत जल्द से जल्द मिल सके.

राज्य सरकारें भी अपनी ओर से जीसीसी को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं. पिछले साल तमिलनाडु ने घोषणा की थी कि वह नए जीसीसी में उच्च वेतन वाली नौकरियों के देने पर पेरोल सब्सिडी प्रदान करके प्रोत्साहित करेगा. कर्नाटक जीसीसी को महानगरों से आगे मैसूर, मंगलुरु, शिवमोग्गा और हुबली-धारवाड़ जैसे शहरों में विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करता है. उत्तर प्रदेश ने भी जीसीसी नीति जारी करने के लिए उठाया है, जिसमें नए कर्मचारियों की भर्ती के लिए सब्सिडी और रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन प्रोत्साहन जैसी सुविधाएं शामिल हैं.

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