इसलिए नहीं मिलता रेल रिजर्वेशन, दलाल करते हैं ब्रह्मोस, टेस्ला, अवेंजर से 10 सेकंड का खेल, ऐसे सजता लूट बाजार

ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुकिंग अब आम यात्रियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. सुबह 8 बजे विंडो खुलते ही कुछ ही सेकंड में टिकट फुल हो जाते हैं, जबकि लोग आवश्यक जानकारी भर भी नहीं पाते. दलाल विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर अवैध रूप से टिकट हथिया लेते हैं, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है.

ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुक करते समय सामान्य यात्रियों को टिकट नहीं मिलने की शिकायत अब आम हो गई है. लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए टिकट बुकिंग विंडो सुबह 8 बजे खुलती है और कुछ ही सेकंड में सीटें पूरी तरह भर जाती हैं. यह समय इतना कम होता है कि आम लोगों को बुकिंग के लिए आवश्यक जानकारी भरने में भी इससे अधिक वक्त लग जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि टिकट आखिर किसे मिलती है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बुकिंग अक्सर दलालों द्वारा की जाती है, जो विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर का अवैध रूप से इस्तेमाल करते हैं. टिकट बुकिंग के इस गोरखधंधे में शामिल दलाल Brahmos, Tesla, Avengers और Nexus जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं.

कैसे होती है बुकिंग?

रिपोर्ट के अनुसार, अवैध बुकिंग में शामिल दलाल Brahmos, Tesla, Avengers और Nexus जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. ये सॉफ्टवेयर एक साथ कई काम करते हैं, जैसे बुकिंग के लिए आवश्यक डाटा भरना, OTP दर्ज करना, कैप्चा कोड पूरा करना और भुगतान करना. यह पूरा प्रक्रिया मात्र 10 से 15 सेकंड के भीतर पूरी हो जाती है. सामान्य यात्रियों को ये सभी कदम पूरा करने में इससे कहीं अधिक समय लगता है.

दलाल एक दिन पहले ही यात्री से नाम, आयु, बर्थ जैसी सभी जानकारी ले लेते हैं. बुकिंग के समय यही डाटा सॉफ्टवेयर में पहले से सेट किया जाता है ताकि वह ऑटो-फिल हो सके. इसी तरह Brahmos, Tesla, Avengers और Nexus जैसे सॉफ्टवेयर के माध्यम से अवैध बुकिंग की जाती है.

  • बुकिंग से एक दिन पहले, दलाल यात्री की जानकारी नाम, उम्र आदि सॉफ्टवेयर में पहले से भर देते हैं.
  • अगले दिन सुबह 8 बजे, जैसे ही IRCTC की ऑनलाइन बुकिंग विंडो खुलती है.
  • सॉफ्टवेयर पहले से भरी हुई डिटेल्स को तुरंत वेबसाइट पर अपलोड कर देता है.
  • साथ-साथ, सिस्टम में OTP भी स्वतः जनरेट होकर डाला जाता है, साथ में कैप्चा भी भरा जाता है.
  • 10–15 सेकेंड के भीतर, पूरी प्रक्रिया पूरी हो जाती है और टिकट बुक हो जाता है.

यह भी पढ़ें: सुबह 8 से 10 बजे तक बिना आधार के नहीं कर पाएंगे ट्रेन टिकट बुक, IRCTC ने बदला नियम, जान लें नया प्रोसेस

150% महंगे हो जाते हैं टिकट

रिपोर्ट के अनुसार, 800 रुपये किराए वाले स्लीपर बर्थ के लिए यात्रियों को दलालों को 2000 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं. यानी टिकट की कीमत लगभग 150 फीसदी तक बढ़ जाती है. वहीं 2300 रुपये वाले AC कोच में बर्थ पाने के लिए यात्रियों को 4000 रुपये तक देने होते हैं.

क्या कर रही है रेलवे?

अधिकारियों का दावा है कि सुबह 8 बजे के 35 सेकंड बाद ही पेमेंट किया जा सकता है. इससे पहले पेमेंट नहीं किया जा सकता. ऐसे में 15 सेकंड में बुकिंग करने वाले दलाल तुरंत टिकट नहीं बुक कर पाते, जिसका फायदा सामान्य यात्रियों को मिलता है. इसके अलावा आधार-वेरीफाइड आईडी से ही टिकट बुक करने की अनिवार्यता लागू होने के बाद इस पर और नियंत्रण पाया गया है.

हालांकि दलालों ने इसका भी विकल्प निकालना शुरू कर दिया है. अब वे प्रत्येक आधार-वेरीफाइड आईडी के लिए 500 रुपये तक देने को तैयार हैं, जबकि पहले यह राशि केवल 30 रुपये थी. RPF IT सेल ने इस साल अब तक 10 केस दर्ज किए हैं, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 20 से 30 के बीच था. साथ ही 50 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.