EatFit और CakeZone चलाने वाली कंपनी ला रही IPO, 2 वर्ष में दोगुनी हुई कमाई; जानें क्या है इश्यू साइज
बेंगलुरु की एक तेजी से बढ़ती फूडटेक कंपनी अब शेयर बाजार में उतरने की तैयारी में है. इस कंपनी ने सेबी से बड़ी मंजूरी हासिल की है और निवेशकों के बीच खलबली मच गई है. कौन कमा सकता है बड़ा मुनाफा.
बेंगलुरु की क्लाउड किचन कंपनी Curefoods ने भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) से अपने 800 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए मंजूरी हासिल कर ली है. कंपनी EatFit, CakeZone और Krispy Kreme जैसे लोकप्रिय ब्रांड संचालित करती है. इस मंजूरी के साथ ही फूडटेक सेक्टर की यह तेजी से बढ़ती कंपनी अब शेयर बाजार में उतरने की तैयारी में है.
आईपीओ साइज और निवेशकों की हिस्सेदारी
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस आईपीओ में फ्रेश इश्यू और ऑफर फॉर सेल (OFS) दोनों शामिल होंगे. कुल मिलाकर 4.85 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी, जिससे शुरुआती निवेशकों को आंशिक या पूर्ण रूप से बाहर निकलने का अवसर मिलेगा. कंपनी के संस्थापक और सीईओ अंकित नागोरी इस सार्वजनिक निर्गम में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचेंगे.
शेयर बेचने वालों में Iron Pillar, Crimson Winter, Accel, Chiratae Ventures और Curefit Healthcare जैसे प्रमुख निवेशक शामिल हैं. इनमें Iron Pillar सबसे बड़ा विक्रेता होगा, जो लगभग 1.91 करोड़ शेयर बेचेगा. Crimson Winter करीब 97.6 लाख, Accel 45.7 लाख और Chiratae 36.6 लाख शेयर बेचेंगे, जबकि Curefit Healthcare 12.8 लाख शेयरों की हिस्सेदारी घटाएगा.
आईपीओ से जुटाई गई रकम का उपयोग
कंपनी का कहना है कि आईपीओ से मिलने वाली राशि में से 152.5 करोड़ रुपये नए क्लाउड किचन स्थापित करने और इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार पर खर्च किए जाएंगे.
इसके अलावा 126.9 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या अग्रिम भुगतान में किया जाएगा. कंपनी अपनी सहायक इकाई Fan Hospitality को भी 92 करोड़ रुपये देगी, जो किचन सट्रक्चर और संचालन संभालती है. इसके अलावा 40 करोड़ रुपये लीज डिपॉजिट के लिए और 14 करोड़ रुपये मार्केटिंग और ब्रांड बिल्डिंग में लगाए जाएंगे.
Curefoods के पास 160 करोड़ रुपये तक का प्री-आईपीओ फंड जुटाने का विकल्प भी है, जिससे फ्रेश इश्यू का आकार कम हो सकता है.
वित्तीय प्रदर्शन और चुनौतियां
कंपनी ने बीते दो वर्षों में अपनी आय लगभग दोगुनी कर ली है, FY23 में 382 करोड़ रुपये से बढ़कर FY25 में 746 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. हालांकि, Curefoods अब भी घाटे में चल रही है. FY25 में इसका नेट लॉस 170 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के लगभग बराबर है, जबकि EBITDA लॉस 276 करोड़ रुपये से घटकर 58 करोड़ रुपये तक सिमट गया.
फिर भी कंपनी हर 1 रुपये की कमाई पर 1.27 रुपये खर्च कर रही है, यानी कैश बर्न अभी भी जारी है.
Curefoods के लिए एक बड़ी चुनौती उच्च कर्मचारी छोड़ने की दर (attrition rate) है, जो FY25 में 111.73 फीसदी रही. कंपनी अपनी बिक्री का 82.2% हिस्सा Swiggy और Zomato जैसे थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म्स से कमाती है. अगर इन प्लेटफॉर्म्स की नीतियों या कमीशन दरों (18-22%) में बदलाव होता है, तो Curefoods के मुनाफे पर सीधा असर पड़ सकता है.
डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ या डेरिवेटिव में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें
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