SBI Mutual Fund जल्द ला सकती है IPO, कंपनी ने तेज की मर्चेन्ट बैंकर चुनने की प्रक्रिया; प्रमोटर बेचेंगे 10% हिस्सेदारी
SBI Mutual Fund ने अपने प्रस्तावित IPO के लिए आधिकारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है और मर्चेन्ट बैंकर तथा सर्विस प्रोवाइडर के चयन की कार्रवाई तेज कर दी है. कंपनी में SBI की 61.98 फीसदी और अमूंड़ी की 36.40 फीसदी हिस्सेदारी है. दोनों प्रमोटर कुल 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं.
SBI Mutual Fund IPO: देश की सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी SBI Mutual Fund अपना IPO लाने की तैयारी में है और इसके लिए प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी गई है. कंपनी ने मर्चेन्ट बैंकर और अन्य सर्विस प्रोवाइडर के चयन की कार्रवाई तेज कर दी है. SBI और फ्रांस की अमूंड़ी के बोर्ड ने IPO के लिए 12 महीने की समयसीमा तय की है. लगभग 12 लाख करोड़ रुपये की एसेट मैनेज करने वाली यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है. IPO में दोनों प्रमोटर मिलकर कुल 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं.
IPO प्रक्रिया की आधिकारिक शुरुआत
SBI के चेयरमैन सी. एस. सेट्टी ने कहा कि बोर्ड ने 12 महीने में बाजार में उतरने की मंजूरी दे दी है और कंपनी “गंभीरता से” प्रक्रिया पर काम कर रही है. SBIFML में SBI की 61.98 फीसदी और अमूंड़ी की 36.40 फीसदी हिस्सेदारी है. IPO के दौरान कुल 5,08,90,000 शेयर लिस्ट होंगे.
कितनी हिस्सेदारी बेचेगी SBI और Amundi
SBI 3,20,60,000 शेयर बेचेगी, जो कंपनी की कुल इक्विटी का 6.3007 फीसदी है. अमूंड़ी 1,88,30,000 शेयर बेचेगी, जो 3.7006 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर है. दोनों मिलकर 10.0013 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर IPO लॉन्च करेंगे.
सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी
SBI Mutual Fund का मार्केट शेयर 15.55 फीसदी है, जो इसे देश की सबसे बड़ी AMC बनाता है. AUM (Q2 FY2026) में कंपनी ने 11.99 लाख करोड़ रुपये की एसेट मैनेजमेंट की, जबकि Alternate Funds के तहत 16.32 लाख करोड़ रुपये की एसेट संभाली.
SBI Mutual Fund की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी और यह भारत का पहला नॉन-UTI mutual fund था. FY25 में कंपनी की कुल आय 4,230.92 करोड़ रुपये रही, जो SBI समूह की कुल आय का 0.64 फीसदी हिस्सा है.
RBI की रेट कटौती और बैंकिंग सेक्टर का माहौल
बीते सप्ताह RBI ने 0.25 फीसदी की कटौती कर रेपो रेट को 5.25 फीसदी पर कर दिया. यह कदम छह माह बाद लिया गया और इसका उद्देश्य आर्थिक गति को बढ़ावा देना है. SBI चेयरमैन ने कहा कि अगले 5–6 वर्षों में बैंक को क्रेडिट ग्रोथ के लिए अतिरिक्त इक्विटी की आवश्यकता नहीं होगी और वह 15 फीसदी कैपिटल एडिक्वेसी अनुपात बनाए रख सकेगा.
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