Tata Sons IPO का मामला पहुंचा कोर्ट, रिजर्व बैंक को आया नोटिस; ये है मामला
भारतीय रिजर्व बैंक को टाटा संस आईपीओ के मामले में लीगल नोटिस भेजा गया है. इसमें कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को लेकर सवाल उठाए गए हैं. 24 नवंबर को सुरेश तुलसीराम पाटिलखेड़े की तरफ से भेजे गए कानूनी नोटिस में टाटा संस और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच हितों के टकराव का गंभीर मुद्दा उठाया गया है. नोटिस का एक अहम हिस्सा वेणु श्रीनिवासन की दोहरी भूमिकाओं पर केंद्रित है.
टाटा संस के आईपीओ से संबंधित मामला गंभीर हो गया है. आलम ये है कि इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक को कानूनी नोटिस भेजा गया है. इस नोटिस में टाटा संस और आरबीआई में एक साथ अहम पदों पर आसीन वेणु श्रीनिवासन की भूमिका पर सवाल उठाया गया है. नोटिस में कहा गया है कि वेणु की दोनों जगह मौजूदगी कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला है. असल में वेणु श्रीनिवासन 2022 से 2026 तक आरबीआई के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं. इसके साथ ही टाटा संस के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं.
नोटिस में उठाए गए अहम सवाल
24 नवंबर को सुरेश तुलसीराम पाटिलखेड़े की तरफ से भेजे गए कानूनी नोटिस में टाटा संस और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच हितों के टकराव से जुड़े कई सवाल उठाए गए. नोटिस में दावा किया गया है कि टाटा संस जानबूझकर आरबीआई के “स्केल-बेस्ड रेगुलेशन” (एसबीआर) ढांचे और अनिवार्य सार्वजनिक लिस्टिंग (मेंडेटरी पब्लिक लिस्टिंग) के नियमों से बचने का प्रयास कर रही है.
आईपीओ लाने से कतरा रही टाटा संस
नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि टाटा संस को नियमों के मुताबिक सितंबर 2025 तक बाजार में लिस्टिंग के लिए आईपीओ लाना होगा. एक कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) और बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के तौर पर इसकी लिस्टिंग अनिवार्य है. लेकिन, कंपनी ने आईपीओ लाने से बचने के लिए अपने एनबीएफसी स्टेटस को डि-रजिस्टर करने का प्रयास किया है. इसके साथ ही नोटिस में दावा किया गया है कि टाटा संस पर 4,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है. कंपनी की लिस्टिंग नहीं होने से सहायक कंपनियों और देश की आर्थिक स्थिरता के लिए जोखिम पैदा हो सकता है.
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कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मुद्दा
नोटिस का एक बड़ा हिस्सा टाटा संस के निदेशक और टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन की दोहरी भूमिकाओं पर केंद्रित है. श्रीनिवासन की आरबीआई बोर्ड में सदस्यता को टाटा संस के मामलों में निर्णय लेने की स्वतंत्रता से समझौता करने वाला बताया गया है. नोटिस में यह नैतिक सवाल उठाया गया है कि क्या यह उचित है कि टाटा संस के पंजीकरण रद्द करने के आवेदन पर विचार करते समय आरबीआई स्वतंत्र रूप से निर्णय ले पाएगा.
वकील की प्रतिक्रिया
नोटिस जारी करने वाले पाटिल के वकील मोहित रेड्डी पाशम ने कहा, “आरबीआई का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि आईआईएफएल और आईएलएंडएफएस जैसी कंपनियों की विफलता के बाद देश की अर्थव्यवस्था को कोई और झटका न लगे. आरबीआई को पारदर्शिता दिखाते हुए कानून को समान रूप से लागू करना चाहिए, चाहे वह कोई भी संस्था हो.” रेड्डी ने यह भी कहा कि आरबीआई को टाटा संस के खिलाफ उचित कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए कि नियम सभी पर समान रूप से लागू होते हैं.