MF सेक्टर का नया माइलस्टोन: इक्विटी एसेट्स पहली बार 50 लाख करोड़ रुपये के पार, SIP ने तोड़ा रिकॉर्ड

पिछले एक साल में शेयर बाजार की रिटर्न भले सीमित रही हो, लेकिन सेंटीमेंट मजबूत बनी हुई है. RBI और सरकार की नीतिगत सपोर्ट ने इस भरोसे को और बढ़ाया है. जैसे ब्याज दरों में कटौती, 100 बेसिस पॉइंट की CRR कमी और GST में बड़ी कटौती. इन कदमों से लिक्विडिटी में सुधार हुआ है और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निरंतर इनफ्लो बने हुए हैं.

म्यूचुअल फंड Image Credit: Getty image

भारत के म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने अक्टूबर 2025 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. पहली बार इक्विटी एसेट्स अंडर कस्टडी (AUC) 50 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गए हैं. AUC अब 50.83 लाख करोड़ रुपये पर है, जो फरवरी के लो 39.21 लाख करोड़ रुपये से करीब 30 फीसदी की जबरदस्त बढ़त दिखाता है. इसके साथ ही, इक्विटी ओनरशिप में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी भी 10.8 फीसदी के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है.

रिटेल निवेशकों की मजबूत वापसी ने बदली तस्वीर

ब्रोकिंग और वेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस शानदार ग्रोथ के पीछे सबसे बड़ी ताकत रही है रिटेल निवेशकों की भागीदारी. सोशल मीडिया और डिजिटल इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स ने वित्तीय जागरूकता को बढ़ावा दिया है, जिससे इक्विटी निवेश अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और पॉपुलर हुआ है.

SIP ने तोड़ा रिकॉर्ड

म्यूचुअल फंड्स में निवेश का सबसे भरोसेमंद तरीका बन चुके Systematic Investment Plan (SIP) में भी जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. मार्च 2020 में जहां SIP इनफ्लो करीब 8,500 करोड़ रुपये प्रतिमाह थे, वहीं सितंबर 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 29,361 करोड़ रुपये पहुंच गया है. यानी 3.5 गुना से ज्यादा की बढ़त. यह बढ़त साफ दिखाती है कि भारतीय निवेशक अब लंबे समय के लिए नियमित और अनुशासित निवेश की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

सरकार और RBI की नीतियों से मिला बूस्ट

पिछले एक साल में शेयर बाजार की रिटर्न भले सीमित रही हो, लेकिन सेंटीमेंट मजबूत बनी हुई है. RBI और सरकार की नीतिगत सपोर्ट ने इस भरोसे को और बढ़ाया है. जैसे ब्याज दरों में कटौती, 100 बेसिस पॉइंट की CRR कमी और GST में बड़ी कटौती. इन कदमों से लिक्विडिटी में सुधार हुआ है और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निरंतर इनफ्लो बने हुए हैं.

पासिव और हाइब्रिड फंड्स की ओर झुकाव

जानकारों का कहना है कि निवेशक अब इंडेक्स, पासिव और हाइब्रिड फंड्स जैसे विकल्पों की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं. ये स्कीम्स निवेशकों को विविधता और स्थिरता दोनों देती हैं. इससे म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का इंवेस्टमेंट बेस और ज्यादा व्यापक हो गया है.

आगे क्या?

हालांकि एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि अगर अगले 1-2 साल में बाजार सुस्त रहा या निगेटिव ट्रेंड दिखा, तो इनफ्लो में कुछ कमी आ सकती है. लेकिन फिलहाल के हालात को देखते हुए ऐसा होने की संभावना कम ही दिखाई देती है, क्योंकि बाजार में फिलहाल ऑप्टिमिज्म बना हुआ है और निवेशक लंबी अवधि के नजरिए से इक्विटी को लेकर पॉजिटिव हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.