न मिनिमम बैलेंस की टेंशन, न पेनाल्टी का डर… वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए क्यों बेस्ट जीरो बैलेंस अकाउंट!
जीरो बैलेंस अकाउंट ऐसा सेविंग अकाउंट होता है जिसमें खाते में न्यूनतम राशि बनाए रखना जरूरी नहीं होता. अगर किसी महीने खर्च ज्यादा हो जाए और बैलेंस कम रह जाए, तो बैंक कोई जुर्माना नहीं लगाता. यह सुविधा खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी इनकम और खर्च हर महीने बदलते रहते हैं.
Zero balance account: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में कामकाजी लोगों के पास समय की सबसे ज्यादा कमी होती है. सुबह ऑफिस, दिनभर मीटिंग्स, टारगेट और डेडलाइन, और शाम को निजी जिम्मेदारियां. ऐसे में बैंकिंग से जुड़े काम अक्सर टल जाते हैं. ऊपर से अगर खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने का दबाव हो, तो तनाव और बढ़ जाता है.
ऐसे माहौल में जीरो बैलेंस अकाउंट एक राहत बनकर सामने आता है. इसमें न तो मिनिमम बैलेंस की चिंता रहती है और न ही पेनल्टी का डर. चाहे आप सैलरीड कर्मचारी हों, फ्रीलांसर हों या गिग वर्कर. यही वजह है कि आज भारत में कामकाजी वर्ग के बीच जीरो बैलेंस अकाउंट की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.
जीरो बैलेंस अकाउंट क्या है और क्यों जरूरी है
जीरो बैलेंस अकाउंट ऐसा सेविंग अकाउंट होता है जिसमें खाते में न्यूनतम राशि बनाए रखना जरूरी नहीं होता. अगर किसी महीने खर्च ज्यादा हो जाए और बैलेंस कम रह जाए, तो बैंक कोई जुर्माना नहीं लगाता. यह सुविधा खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी इनकम और खर्च हर महीने बदलते रहते हैं.
पैसों की ज्यादा आजादी और कम तनाव
महीने के अंत में जब खर्च बढ़ जाते हैं, तब जीरो बैलेंस अकाउंट बड़ा सहारा बनता है. इसमें आपको बैलेंस कम होने की चिंता नहीं रहती. सैलरी, फ्रीलांस पेमेंट या रिफंड बिना किसी परेशानी के खाते में आ सकते हैं और आप अपने बिल या निवेश अपनी सुविधा से प्लान कर सकते हैं.
ऑनलाइन अकाउंट ओपनिंग की सुविधा
व्यस्त प्रोफेशनल्स के लिए सबसे बड़ी राहत है ऑनलाइन अकाउंट खोलने की सुविधा. आज ज्यादातर बैंक आधार, पैन और वीडियो KYC के जरिए घर बैठे अकाउंट खोलने का विकल्प देते हैं. इससे न तो बैंक ब्रांच जाने की जरूरत पड़ती है और न ही लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
बेहतर कैश विदड्रॉल और डिजिटल लिमिट्स
कई जीरो बैलेंस अकाउंट में ATM से कैश निकालने और UPI या कार्ड से खर्च करने की अच्छी लिमिट मिलती है. यह सुविधा यात्रा, इमरजेंसी या अचानक बड़े खर्च के समय काफी काम आती है. साथ ही, बड़े ATM नेटवर्क से ट्रांजैक्शन चार्ज से भी बचाव होता है.
ऑफर्स, डिस्काउंट और रिवॉर्ड्स का फायदा
जीरो बैलेंस अकाउंट के साथ मिलने वाले डेबिट कार्ड पर अक्सर शॉपिंग, डाइनिंग, ट्रैवल और ऑनलाइन सेवाओं पर ऑफर्स मिलते हैं. इसके अलावा, रोजमर्रा के UPI और कार्ड ट्रांजैक्शन पर रिवॉर्ड पॉइंट्स या कैशबैक भी मिल सकता है, जो समय के साथ अच्छी बचत में बदल जाता है.
डिजिटल बैंकिंग की पूरी सुविधा
नेट बैंकिंग, मोबाइल ऐप, SMS अलर्ट, UPI, IMPS और NEFT जैसी सुविधाएं जीरो बैलेंस अकाउंट को पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित बनाती हैं. इससे पैसे भेजना, बिल भरना और खाते पर नजर रखना बेहद आसान हो जाता है. अगर आप एक वर्किंग प्रोफेशनल हैं और बैंकिंग को सरल, लचीला और बिना पेनल्टी के रखना चाहते हैं, तो जीरो बैलेंस अकाउंट एक समझदारी भरा विकल्प है. अकाउंट खोलने से पहले शर्तें जरूर जांचें और अपनी जरूरत के अनुसार तुलना करें.
बहुत आसान और सरल हिंदी में पैराग्राफ फॉर्म में रूपांतरण:
CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024–2025 तक देश के 90% से ज्यादा Adults के पास बैंक अकाउंट या मोबाइल मनी अकाउंट है. यह आंकड़ा करीब 89-90 फीसदी बताया गया है. साल 2011 में सिर्फ 35% लोगों के पास ही बैंक अकाउंट हुआ करता था. यानी पिछले एक दशक में भारत में बैंकिंग से जुड़े लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है. वहीं PIB के मुताबिक, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत अब तक भारत में 56 करोड़ से ज्यादा जन धन अकाउंट खोले जा चुके हैं. ये सभी अकाउंट जीरो बैलेंस अकाउंट हैं.
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