बिहार के इन शहरों को जोड़ेगा वाराणसी- कोलकाता एक्सप्रेसवे, 15 घंटे का सफर 9 घंटे में होगा पूरा, जाने डेडलाइन!
इस बहुमुखी परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी 2024 को रखी थी, जो मार्च 2028 तक पूरे होने के आसार हैं. छह लेन वाला वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे, वाराणसी और कोलकाता के बीच आवागमन और मालवाहक वाहनों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए बनाया जा रहा है.

वाराणसी- कोलकाता एक्सप्रेसवे: Varanasi-Kolkata Expressway भारत के पूर्वी हिस्से में विकास और कनेक्टिविटी को नई दिशा देने के लिए केंद्र सरकार एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रही है. इसी बीच विकास की रफ्तार को आगे की ओर बढा रहा हैं. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे जिसका दूसरा नाम वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे है, जो चार राज्यों में फैलाएगा एक्सप्रेसवें का मकड़जाल, नाम से ही यह साफ पता चल जाता हैं. कि यह एक्सप्रेसवे कुल चार राज्यों को जोड़ेगा. जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल है. यह पूरा एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड परियोजना है. जो कि इस एक्सप्रेसवे की लंबाई लगभग 610 किलोमीटर निर्धारित हैं. एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा, जिसका भविष्य में और विस्तार किया जा सकता है. इस विकास परियोजना मार्च 2028 तक पूरा होने की उम्मीद हैं. साथ ही यह राज्यों के बीच संपर्क, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बेहतर बनाएगा.
यह विकास कॉरिडोर वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे से कई इंडस्ट्री का विकास होनें की सम्भावना हैं. इससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. तो वहीं इस बहुमुखी परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी 2024 को रखी थी, जो मार्च 2028 तक पूरे होने के आसार हैं. छह लेन वाला वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे, वाराणसी और कोलकाता के बीच आवागमन और मालवाहक वाहनों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए बनाया जा रहा है.
वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना के मुख्य आकडे़
- वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की लंबाई – 610 किमी
- वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की लागत – 35,000 करोड़ रुपये
- लेन की संख्या- 6 लेन, विस्तार विकल्प उपलब्ध
- आरंभ और अंत बिंदु- यूपी के चन्दौली जिले बरहुली से शुरू होकर पश्चिम बगांल के उलुबेरिया में समाप्त
- अपेक्षित समापन तिथि- मार्च 2028
- परियोजना के स्वामी- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई)
- निर्माण मोड- इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी)
देश के चार राज्यों के प्रमुख शहरों से जुड़ेगा.
यह एक्सप्रेसवे वाराणसी के बरहुली गांव के वाराणसी रिंग रोड से शुरू होगा, जो बरहुली गांव उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के पास स्थित है. राज्य की सीमा पार करने के बाद यह बिहार में प्रवेश करेगा. इसके साथ ही इस एक्सप्रेसवे से बिहार के स्वर्णिम विकास में चार चांद लगेगा, प्रदेश में और शहरो से कनेक्टिवीटी बढेगी, साथ ही राज्य में आसपास के इलाकों में ट्रैफिक को रिडायरेक्ट करने में मदद मिलेगी. इनमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जी जिले शामिल हैं, बिहार के बाद एक्सप्रेसवे झारखंड राज्य में प्रवेश करेगा. जो झारखंड में यह चतरा, हजारीबाग, रामगढ़ और पीटरबार होते हुए गुजरेगा इसके साथ रांची के पास बोकारो से भी गुजरेगा. पश्चिम बंगाल में यह एक्सप्रेसवे पुरुलिया, बांकुरा तथा आरामबाग से होकर उलुबेरिया क्षेत्र में NH 19 पर समाप्त होगा जो उलुबेरिया का इलाका हावड़ा (कोलकाता) के पास है.
वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना के मुख्य विवरण
राज्यों से जुड़ाव: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल.
उत्तर प्रदेश: लगभग 22 किलोमीटर.
बिहार: लगभग 159 किलोमीटर.
झारखंड: लगभग 187 किलोमीटर.
पश्चिम बंगाल: लगभग 242 किलोमीटर.
इस विकास परियोजना के 160 किलोमीटर का हिस्सा बिहार से होकर गुजरेगा,
एक्सप्रेसवे चंदौली से बिहार में प्रवेश करेगा और गया के इमामगंज से झारखंड की ओर बढ़ेगा, इस एक्सप्रेसवे से बिहार का कुल 160 किलोमीटर का हिस्सा जुडे़गा, इनमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जी जिले शामिल हैं ,इस महत्वाकांक्षी परियोजना से न सिर्फ इन जिलों में आर्थिक और सामाजिक विकास की नई लहर आएगी. तो वहीं कैमूर की पहाड़ियों में 5 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण इस एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगा. इसके साथ ही सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर पुल का निर्माण और जीटी रोड से औरंगाबाद की कनेक्टिविटी को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है.
बिहार के विकास और पर्यटन को भी बढावा मिलेगा,
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार के व्यापार और औद्योगिक विकास को भी नया आयाम मिलेगा. साथ ही किसानों और व्यापारियों के लिए अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाना आसान हो जाएगा. इसके साथ वाराणसी और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी होने से पर्यटन और रोजगार के नए अवसर मिलेगें तो वहीं इसके निर्माण से वाराणसी से कोलकाता की दूरी मौजूदा 15 घंटे से घटकर सिर्फ 9 घंटे रह जाएगी. जो बिहार वासियों के लिये किसी सौगात से कम नहीं हैं. बिहार के विकास को तीनों राज्यों से जोड़ना आसान हो जायेगा.इसके साथ ही बिहार के व्यापार और पर्यटन को भी बढावा मिलेगा.
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वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की समय-सीमा कब क्या हुआ.
- 2019- वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे का प्रस्ताव सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के समक्ष रखा गया था.
- नवंबर 2022-भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा निविदाएं जारी की गईं.
- मार्च 2023- भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू.
- अप्रैल 2023-झारखंड खंड के लिए बोली प्रक्रिया पूरी हो गई है और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
- जुलाई 2023- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 319बी) घोषित किया है.
- फरवरी 2024- इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी.
- मार्च 2024- भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के लिए बोकारो के तीस गांवों में शिविर का आयोजन.
- मार्च 2028- संपूर्ण वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे मार्च 2028 तक चालू होने की उम्मीद है.
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