बिल्डर ने घर नहीं दिया, लौटाए जाएंगे पैसे, सरकार ला रही है नया नियम
देश के उन हजारों घर खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, जिनका पैसा दिवालिया निर्माणाधीन परियोजनाओं में फंसा था. ईडी और आईबीबीआई ने एक नया एसओपी तैयार किया है. इसके तहत, दिवालिया कंपनियों की जब्त संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि अब सीधे आवास खरीदारों और बैंकों को वापस मिल सकेगी.
देश में ऐसे कई घर खरीदार हैं जिन्होंने निर्माणाधीन हाउसिंग प्रजेक्ट में मकान बुक किए थे और कंपनी के दिवालिया हो जाने के कारण फंस गए हैं. ऐसे खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड (IBBI) ने मिलकर एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर यानी SOP तैयार किया है.
इस नए SOP के तहत, दिवालिया घोषित कंपनियों और उनके प्रमोटर्स की जब्त की गई संपत्तियों को अब आवासीय खरीदारों, बैंकों और अन्य प्रभावित पक्षों को आसानी से वापस किया जा सकेगा. इसका सीधा लाभ उन खरीदारों को मिलेगा, जिनका पैसा दिवालिया आवासीय कंपनियों में फंसा हुआ है.
4.12 लाख घर खरीदार और बैंकों के 4.1 लाख करोड़ रुपये फंसे
देश में लगभग 4.12 लाख आवासीय खरीदारों का पैसा दिवालिया कंपनियों में अटका हुआ है, जिनमें से कई प्रोजेक्ट अधूरी पड़ी हैं. इसके अलावा, बैंकों के लगभग 4.1 लाख करोड़ रुपये भी इनमें फंसे हुए हैं.
नए SOP से क्या बदलेगा?
अब तक, कई इंसॉल्वेंसी मामलों में, PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत संपत्ति जब्त होने के कारण, लोन चुकाने में चूक करने वाली कंपनियों की संपत्तियों का समाधान प्रक्रिया में इस्तेमाल नहीं हो पाता था. यह नया सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि जब्त संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त धनराशि मकान बुक कराने वाले ग्राहकों या बैंकों जैसे दावेदारों को वापस मिल सके. इससे बैंकों और खरीदारों जैसे प्रभावित लोगों के नुकसान की भरपाई हो सकेगी.
इसका फायदा किसे मिलेगा?
ED ने स्पष्ट किया है कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स अब PMLA की धारा 8(7) और 8(8) के तहत आवेदन देकर संपत्ति को मुक्त करा सकेंगे. इस प्रक्रिया से मुक्त हुई संपत्तियों का उपयोग केवल आवास खरीदारों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के हित में किया जाएगा. आरोपी कंपनी या उसके प्रवर्तकों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा.
ED नए SOP पर क्यों जोर दे रहा है?
यह कदम IBC यानी इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी प्रक्रिया को तेज करेगा और अदालतों में लंबित मामलों को सुलझाने में मददगार साबित होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियेल एस्टेट सेक्टर में फंसे हजारों करोंड़ के फंड पर असर होगा और इससे हाउसिंग सेक्टर को नई जान मिल सकती है.