जमीनी विवाद होंगे खत्म, पूरी तरह डिजिटल हो रहा रिकॉर्ड, सरकार तैयार कर रही इंटीग्रेटेड डाटाबेस

सरकार जमीन के रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार किया जाएगा जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की जमीन की स्वामित्व जानकारी और कैडस्ट्रल मैप शामिल होंगे. नक्शा पहल के तहत 160 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. ग्रामीण इलाकों में अब तक 99.8 फीसदी जमीन रिकॉर्ड डिजिटाइज हो चुके हैं.

सरकार जमीन के रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रही है. Image Credit: CANVA

Land Records Digital Database: सरकार अब जमीन के रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल बनाने जा रही है. इसके लिए इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की जमीन की स्वामित्व जानकारी दर्ज होगी. इसके साथ कैडस्ट्रल मैप भी जोड़े जाएंगे. इस पहल से जमीन के उपयोग में ट्रांसपेरेंसी आएगी, विवादों में कमी होगी और वास्तविक समय में सही जानकारी उपलब्ध होगी. सरकार का लक्ष्य है कि भूमि सुधारों को अगले स्तर पर ले जाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जाए.

इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड से जुड़ेगा हर जमीन

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का मानना है कि किसी भी जमीन सुधार की शुरुआत डिजिटल रिकॉर्ड से ही संभव है. फिलहाल शहरी क्षेत्रों में जमीन रिकॉर्ड की स्थिति कमजोर है. केवल गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में शहरी जमीन रिकॉर्ड अन्य राज्यों से बेहतर हैं. इसी कारण अब पूरे देश में इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं.

नक्शा पहल के तहत पायलट प्रोजेक्ट

सरकार ने शहरी जमीन रिकॉर्ड जुटाने के लिए नक्शा नाम से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. यह प्रोजेक्ट 160 शहरों में चलाया जा रहा है और अगले छह महीने में पूरा होगा. इसके बाद इस पहल को देश के बाकी शहरी इलाकों में भी लागू किया जाएगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से काम

ग्रामीण इलाकों में जमीन रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन तेजी से हो रहा है. अब तक 379.29 मिलियन यानी लगभग 99.8 फीसदी रिकॉर्ड डिजिटाइज हो चुके हैं. हालांकि जमीन के सही नक्शे तैयार करने और उन्हें जोड़ने का काम अभी चल रहा है और इसमें समय लगेगा.

पूर्वोत्तर और लद्दाख में चुनौतियां

पूर्वोत्तर राज्यों में जमीन सामुदायिक स्वामित्व में होती है इसलिए वहां रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं. लद्दाख में कुछ साल पहले डिजिटाइजेशन की शुरुआत हुई है और इसे पूरा करने में अभी समय लगेगा. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में 97.3 फीसदी कैडस्ट्रल मैप और 89.7 फीसदी राजस्व न्यायालय डिजिटाइज किए जा चुके हैं.

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डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स प्रोग्राम

2016 में केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम शुरू किया था. इस कार्यक्रम को पूरी तरह केंद्र से फंड मिलता है और राज्य सरकारें इसे लागू करती हैं. वित्त मंत्रालय ने 2025-26 तक के लिए 875 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इसके तहत सभी राजस्व न्यायालयों का कम्प्यूटराइजेशन और आधार नंबर से लिंकिंग की जाएगी.