Cochin Shipyard की कमाई का खुला राज, जानें कहां से भर रही जेब, 977% रिटर्न और 21100 करोड़ का ऑर्डर बुक
Cochin Shipyard देश की प्रमुख शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर कंपनियों में से एक है और डिफेंस व कमर्शियल दोनों ही सेक्टर में काम करती है. कंपनी कार्गो जहाज, ऑफशोर सपोर्ट वेसल और एडवांस्ड वॉरशिप्स जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर तक का निर्माण करती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कंपनी की ज्यादातर कमाई कहां से आती है.

Cochin Shipyard: हाल ही में शिपिंग सेक्टर फिर से चर्चा में आया है. सरकार ने 70000 करोड़ रुपये की नई समुद्री योजनाओं की घोषणा की है. इसका मकसद भारत की समुद्री ताकत को फिर से मजबूत करना है. इसी कड़ी में आज हम एक मिनी रत्न पीएसयू कंपनी के बारे में बात करेंगे, जिसका नाम Cochin Shipyard नाम है. यह कंपनी देश की प्रमुख शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर कंपनियों में से एक है और डिफेंस व कॉमर्शियल दोनों ही सेक्टर में काम करती है. कंपनी कार्गो जहाज, ऑफशोर सपोर्ट वेसल और एडवांस्ड वॉरशिप्स जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर तक का निर्माण करती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कंपनी की ज्यादातर कमाई कहां से आती है. डिफेंस से या फिर कॉमर्शियल शिपबिल्डिंग से? आइए विस्तार से जानते है.
कंपनी पर एक नजर
कोचीन शिपयार्ड की स्थापना साल 1972 में सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में हुई थी. पिछले तीन दशकों में यह भारत की अग्रणी शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर कंपनी बन चुकी है. यह कंपनी शिपबिल्डिंग, शिप रिपेयर और मरीन इंजीनियरिंग ट्रेनिंग जैसी सर्विसेज देती है. यार्ड (जहाज निर्माण केंद्र) इतनी क्षमता रखता है कि यहां 110000 DWT तक के जहाज बनाए जा सकते हैं और 125000 DWT तक के जहाज रिपेयर हो सकते हैं. यह क्षमता भारत में सबसे बड़ी है. कंपनी ने भारत का पहला स्वदेशी एयर डिफेंस शिप बनाने का जिम्मा भी संभाला है. इसके अलावा यूरोप और मिडिल ईस्ट से भी इसे कई अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर मिले हैं.
ताजा वित्तीय प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 977 करोड़ रुपये तक पहुंचा. यह पिछले साल की तुलना में लगभग 38 फीसदी ज्यादा है. मुनाफा भी बढ़कर 188 करोड़ रुपये हो गया.
- शिपबिल्डिंग राजस्व: 348 करोड़ रुपये (पिछले साल से 25 फीसदी कम)
- शिप रिपेयर राजस्व: 630 करोड़ रुपये (157 फीसदी ज्यादा)
इससे साफ है कि हाल के समय में कंपनी की ज्यादा कमाई शिप रिपेयर बिजनेस से हुई है.
ऑर्डर बुक (Order Book)
कंपनी की कुल ऑर्डर बुक करीब 21,100 करोड़ रुपये की है. इसमें:
- डिफेंस: 65% (14 जहाज, 13,700 करोड़ रुपये)
- कमर्शियल: घरेलू: 8% (34 जहाज, 1,700 करोड़ रुपये)
- कमर्शियल: निर्यात: 20% (27 जहाज, 4,200 करोड़ रुपये)
- शिप रिपेयर: 7% (1,500 करोड़ रुपये)
यानी सबसे ज्यादा ऑर्डर डिफेंस सेक्टर से हैं.
ऑर्डर पाइपलाइन (भविष्य के ऑर्डर)
कंपनी की भविष्य की पाइपलाइन लगभग 2,85,000 करोड़ रुपये की है. यह अभी के मुकाबले 13 गुना ज्यादा है. इसमें से डिफेंस सेक्टर से 77 फीसदी तकरीबन 2,20,000 करोड़ रुपये है. वहीं कॉमर्शियल से 23 फीसदी तकरीबन 65,000 करोड़ रुपये है. साफ है कि आने वाले समय में कंपनी को सबसे ज्यादा ऑर्डर डिफेंस से मिलने वाले हैं.
क्यों डिफेंस CSL की रीढ़ है?
नेवी और कोस्ट गार्ड जैसी संस्थाओं के जहाज निर्माण और मरम्मत का जिम्मा अक्सर कोचीन शिपयार्ड को दिया जाता है. एयरक्राफ्ट कैरियर और युद्धपोत जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में कंपनी की विशेषता है. डिफेंस सेक्टर की मांग हमेशा स्थिर रहती है और लंबे समय तक सुरक्षा जरूरतें बनी रहती हैं.
निवेशकों के लिए संकेत
- कंपनी लगभग कर्ज-मुक्त है (Debt-to-Equity: 0.09)
- ROCE: 20.4% और ROE: 14.83%
- डिविडेंड यील्ड: 0.52%
इससे यह साफ है कि कंपनी मजबूत वित्तीय स्थिति में है और लगातार अपने शेयरधारकों को फायदा भी देती है. कोचीन शिपयार्ड की सबसे बड़ी कमाई डिफेंस से होती है. चाहे मौजूदा ऑर्डर बुक हो या आने वाले समय की पाइपलाइन, दोनों में डिफेंस का सबसे ज्यादा हिस्सा है. कमर्शियल शिपबिल्डिंग (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) कंपनी के बिजनेस का एक हिस्सा जरूर है, लेकिन कंपनी की असली ताकत और भविष्य की वृद्धि डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर ही टिकी है.
शेयरों का प्रदर्शन


डेटा और ग्राफ सोर्स: BSE, Groww, Trade Brains
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डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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