HAL-BEL से आगे की दौड़… ₹4 लाख करोड़ एयरोस्पेस बूम में गुपचुप उभर रहे 3 डिफेंस स्टॉक, ISRO भी क्लाइंट

भारत का एयरोस्पेस 2033 तक पांच गुना बढ़कर 44 बिलियन डॉलर (करीब ₹4 लाख करोड़) तक पहुंच सकता है. अगले दस साल में इस क्षेत्र में 2 लाख से अधिक नौकरियां बनने की उम्मीद है. सरकार की मेक-इन-इंडिया नीतियों, बढ़ते डिफेंस बजट और हवाई सफर बढ़ने से पूरा एयरोस्पेस वैल्यू चेन मजबूत हो रही है.

डिफेंस स्टॉक पर रखें नजर Image Credit: Freepik

Defence Stocks: भारत का एयरोस्पेस, ड्रोन और स्पेस सेक्टर तेजी से बड़ा उद्योग बन रहा है. Adecco की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह सेक्टर 2033 तक पांच गुना बढ़कर 44 बिलियन डॉलर (करीब ₹4 लाख करोड़) तक पहुंच सकता है. अगले दस साल में इस क्षेत्र में 2 लाख से अधिक नौकरियां बनने की उम्मीद है. सरकार की मेक-इन-इंडिया नीतियों, बढ़ते डिफेंस बजट और हवाई सफर बढ़ने से पूरा एयरोस्पेस वैल्यू चेन मजबूत हो रही है. इस बढ़ते बाजार में कई कंपनियां फायदा उठाने की स्थिति में हैं. यहां 3 ऐसी एयरोस्पेस कंपनियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे.

MTAR टेक्नोलॉजीज

MTAR भारत के स्पेस और डिफेंस मिशनों के लिए हाई-प्रिसिजन पार्ट्स बनाता है. कंपनी का सबसे बड़ा ग्राहक ISRO है. MTAR ने PSLV, GSLV और अब गगनयान मिशन के लिए अहम हार्डवेयर बनाए हैं. कंपनी सेमी-क्रायो इंजन के लिए भी पार्ट्स बना रही है, जिसका प्रोडक्शन FY27 से शुरू हो सकता है.

दूसरी ओर, MTAR अब ग्लोबल कंपनियों जैसे GKN, Thales, IAI, Collins को भी एयरोस्ट्रक्चर और इंजन पार्ट्स सप्लाई कर रहा है. जनवरी 2025 में कंपनी ने एक नई एयरोस्पेस फैक्ट्री शुरू की है, जिससे बड़े स्तर पर प्रोडक्शन संभव होगा. कंपनी का ऑर्डर बुक मजबूत है. कुल बुक का 25% हिस्सा केवल एयरोस्पेस-डिफेंस से है. MTAR आने वाले 4–5 साल में इस बिजनेस को ₹500 करोड़ तक ले जाना चाहती है.

डेटा पैटर्न्स

डेटा पैटर्न्स रक्षा और एयरोस्पेस इलेक्ट्रॉनिक्स बनाती है जैसे रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, अवियोनिक्स और कम्युनिकेशन सिस्टम. कंपनी का सबसे बड़ा बिजनेस रडार है, जो रेवेन्यू का 70% से ज्यादा हिस्सा देता है. यह कंपनी फाइटर जेट्स के लिए फायर कंट्रोल रडार भी बनाती है.

इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और अवियोनिक्स में भी कंपनी की मजबूत पकड़ है. LCA और अन्य एयरक्राफ्ट के लिए डिस्प्ले सिस्टम और जैमर पॉड बनाती है. साथ ही, यह ब्रह्मोस मिसाइल और स्पेस ट्रैकिंग रडार में भी काम कर रही है. डेटा पैटर्न्स का कुल संभावित मार्केट ₹15,000–20,000 करोड़ का माना जा रहा है. कंपनी 20–25% की स्थिर ग्रोथ का लक्ष्य रखती है. उसका ऑर्डर बुक ₹673 करोड़ है और अगले दो साल के लिए ₹2,000–3,000 करोड़ की पाइपलाइन है.

एस्ट्रा माइक्रोवेव

एस्ट्रा माइक्रोवेव डिफेंस, स्पेस और मौसम विज्ञान के लिए माइक्रोवेव सिस्टम और सबसिस्टम बनाती है. कंपनी का 80% बिजनेस डिफेंस से आता है. यह ISRO का करीब 25 साल से पार्टनर है और लगभग सभी भारतीय सैटेलाइट मिशनों में योगदान दे चुकी है. कंपनी अब अपना खुद का सैटेलाइट Astra SAT-1 बना रही है, जिसे दो साल में लॉन्च किया जाएगा.

डिफेंस में कंपनी मिसाइल टेस्टिंग, UAV ट्रैकिंग, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम में तेजी से विस्तार कर रही है. Su-30 लड़ाकू विमान के लिए यह EW सिस्टम की प्रमुख सप्लायर बन गई है. कंपनी को FY28 तक ₹25,000 करोड़ के अवसर दिखाई देते हैं और FY30 तक अपने राजस्व को ₹2,250–2,500 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है.

निवेशकों के लिए क्या मायने?

हालांकि MTAR और Astra जैसी कंपनियों का वैल्यूएशन ऊंचा है, लेकिन अवसर भी बड़े हैं. डेटा पैटर्न्स का वैल्यूएशन बैलेंस है और उसकी रिटर्न रेशियो भी बेहतर दिखती हैं. भारत का एयरोस्पेस बूम इन तीनों कंपनियों के लिए आने वाले वर्षों में बड़ा ग्रोथ इंजन साबित हो सकता है.

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