सेमीकंडक्टर रेस का असली हीरो पानी! डेटा सेंटर–सोलर–चिप तीनों की धड़कन बन चुके ये दो ‘वॉटर रॉकेट’
एक चिप प्लांट रोज लगभग 1 करोड़ (100 लाख) गैलन अल्ट्रा-प्योर वॉटर (UPW) खर्च कर देता है. इतना पानी लगभग 33000 अमेरिकी घर एक दिन में मिलकर इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट और अल्ट्रा-प्योर वाटर इंडस्ट्री सेमीकंडक्टर और AI बूम का बड़ा लाभ उठाने वाली है.
VA Tech Wabag & ION Exchange: भारत सेमीकंडक्टर (चिप) बनाने में आत्मनिर्भर बनना चाहता है. इसके लिए देश में बड़े पैमाने पर फैब और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग बनाने की योजना चल रही है. लेकिन एक बड़ी चुनौती सामने है पानी की कमी. भारत के पास दुनिया के कुल फ्रेश पानी का सिर्फ 4 फीसदी है, जबकि आबादी 18 फीसदी है. सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां भारी मात्रा में पानी इस्तेमाल करती हैं.
एक चिप प्लांट रोज लगभग 1 करोड़ (100 लाख) गैलन अल्ट्रा-प्योर वॉटर (UPW) खर्च कर देता है. इतना पानी लगभग 33000 अमेरिकी घर एक दिन में मिलकर इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट और अल्ट्रा-प्योर वाटर इंडस्ट्री सेमीकंडक्टर और AI बूम का बड़ा लाभ उठाने वाली है. और यहां दो भारतीय कंपनियां सबसे आगे हैं इनका नाम VA Tech Wabag और ION Exchange है.
VA Tech Wabag
VA Tech Wabag एक वैश्विक वॉटर टेक कंपनी है, जो 25 से ज्यादा देशों में काम करती है. यह दुनिया की टॉप प्राइवेट वॉटर ऑपरेटिंग कंपनियों में शामिल है. कंपनी पीने के पानी, सीवेज ट्रीटमेंट, समुद्री पानी को फ्रेश बनाने, वेस्ट पानी को रिसाइकिल करने, UPW और ZLD (Zero Liquid Discharge) जैसी सभी सर्विसेज देती है. इसका बिजनेस मॉडल एसेट-लाइट है, यानी भारी मशीनें खुद बनाने की बजाय इंजीनियरिंग और O&M (ऑपरेशन और मेंटेनेंस) पर ध्यान.
Wabag ने सोलर और सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए UPW प्लांट बनाना शुरू कर दिया है. इसे हाल ही में हैदराबाद की एक सोलर सेल फैक्ट्री (Reneusys) से UPW और ट्रीटमेंट सिस्टम बनाने का बड़ा ऑर्डर भी मिला है. भारत साल 2030 तक 130 GW सोलर क्षमता का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिसके चलते 100–150 MLD UPW की जरूरत पड़ेगी. इसका मार्केट साइज लगभग 3500 करोड़ रुपये बताया गया है.
भारत में तेजी से बढ़ते डेटा सेंटर भी कूलिंग के लिए साफ पानी की भारी मांग करेंगे. Wabag sewage water को शुद्ध कर डेटा सेंटर्स को सप्लाई करने का समाधान पेश कर रहा है. सितंबर 2025 तक Wabag के पास 16000 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक है लगभग 5 साल की कमाई का भरोसा. साथ ही 3000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में यह L1 भी है.

ION Exchange
Ion Exchange भी पानी और वेस्टवॉटर समाधान देने वाली अनुभवी कंपनी है. यह 67 देशों में मौजूद है और ZeroB जैसे घरेलू प्रोडक्ट भी बेचती है. इसके इंजीनियरिंग बिजनेस (61% रेवेन्यू) में ZLD, रीसाइक्लिंग और UPW प्लांट शामिल हैं. कंपनी अब सेमीकंडक्टर, सोलर और डेटा सेंटर सेक्टर को बड़ा बाजार मान रही है. इसने UPW और हाई-प्योरिटी वॉटर के कुछ ऑर्डर भी हासिल किए हैं.
ION Exchange ने प्रेडिक्टिव AI और IoT तकनीक अपनाई है, जिससे बड़े प्लांट में खराबी पहले ही पकड़ में आ जाती है. यह डेटा सेंटर्स के लिए खास उपयोगी है. H1 FY26 में रेवेन्यू 8.7% बढ़ा, लेकिन EBITDA मार्जिन 9.9% तक थोड़ा गिरा. ऑर्डर बुक 2710 करोड़ रुपये की है. यानी सिर्फ 1 साल का विजिबिलिटी. RoE और RoCE में ION Exchange बेहतर है, लेकिन Wabag का वैल्यूएशन तेजी से बढ़ा है.
Valuation Assessment (X)
| कंपनी | P/E | 5-Year Median P/E | RoE (%) | RoCE (%) |
| VA Tech Wabag | 24.3 | 15.6 | 14.6 | 19.7 |
| ION Exchange | 24.6 | 27.2 | 19.7 | 22.3 |
| Industry Median | 16.7 | 18.7 | 23.8 | |
भारत जैसे पानी-की-कमी वाले देश में, VA Tech Wabag और ION Exchange इस नई मांग के सबसे बड़े लाभार्थी बन रहे हैं। दोनों कंपनियां चुपचाप AI और सेमीकंडक्टर बूम की असली ‘Silent Winners’ साबित हो रही हैं.
डेटा सोर्स: FE, ION Exchange, VA Tech Wabag
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