11 दिसंबर तक विदेशी निवेशक ने ₹17,955 करोड़ की बिकवाली, DII ने की ₹36,101 करोड़ की खरीदारी

दिसंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 18,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की, लेकिन इसका बाजार पर असर सीमित रहा. घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने एफपीआई की बिक्री से दोगुनी राशि खरीदकर पूरी तरह असर कम कर लिया. रुपये की गिरावट और अमेरिकी टैरिफ अनिश्चितता मुख्य कारण बने.

विदेशी निवेशक Image Credit: tv9 bharatvarsh

FPI Outflow: विदेशी निवेशकों (FPI) ने दिसंबर में अपनी बिकवाली की लय फिर शुरू कर दी है. अब तक करीब 18,000 करोड़ रुपये की भारतीय शेयर बेचे हैं. हालांकि, बेंचमार्क इंडेक्स पर इसका असर सीमित रहा, क्योंकि पूरी बिकवाली के असर को घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने कम कर दिया, जो इस अवधि में एफपीआई की बिक्री से दोगुनी राशि के शेयर खरीदे.

NSDL के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के पहले नौ कारोबारी सत्रों में FPI ने घरेलू इक्विटी में 17,955 करोड़ रुपये की बिक्री की. इसी अवधि में डीआईआई, जिनमें मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड शामिल हैं, ने 36,101 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी, जिससे 2025 में उनकी कुल खरीदारी रिकॉर्ड 7.44 लाख करोड़ रुपये हो गई.

बिकवाली की क्या है वजह?

नवंबर में थोड़ी सुस्ती के बाद एफपीआई की नई बिकवाली मुख्य रूप से भारतीय रुपया की तेज गिरावट के कारण हुई, जो 2025 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 फीसदी कमजोर हुआ और 90.56 के स्तर पर पहुंच गया. यह गिरावट इसे एशियाई करेंसी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली बनाती है, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ भारतीय सामानों पर 50 फीसदी तक होने से इसके सबसे बड़े बाजार में निर्यात प्रभावित हुआ.

कमजोर रुपया एफपीआई निवेशों की डॉलर वैल्यू को सीधे कम करता है और जोखिम बढ़ाता है, जिससे विदेशी निवेशक पूंजी निकालकर सुरक्षित और स्थिर रिटर्न वाली जगहों की तलाश करते हैं.

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ये है खराब साल

एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक एफपीआई ने भारतीय इक्विटी से 1.61 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की, जो भारतीय इक्विटी की अब तक की सबसे खराब बिक्री का वर्ष बना रहा है. पिछले 11 महीनों में से एफपीआई केवल तीन महीनों अप्रैल, मई और अक्टूबर में शुद्ध खरीदार रहे.

इसके विपरीत, डीआईआई ने वर्ष की शुरुआत जनवरी में 86,591 करोड़ रुपये की खरीदारी से की, उसके बाद अगले महीनों में 64,853 करोड़. मार्च और अप्रैल में खरीदारी नरम रही, लेकिन मई और जून में फिर तेजी आई. मई ने डीआईआई ने 67,642 करोड़ रुपये और 72,673 करोड़ रुपये खरीदारी की.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.