रॉकेट बने पेपर कंपनियों के शेयर, TNPL और JK Paper ने लगाई जोरदार छलांग, सरकार के फैसले ने भरी ताकत
Paper Stocks Jump Today: सरकार द्वारा वर्जिन मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड (VMPB) पर मिनिमम इंपोर्ट प्राइस (MIP) लागू करने के बाद पेपर के कंपनियों के शेयरों ने रफ्तार पकड़ी है. जेके पेपर में चार दिनों की गिरावट के बाद 15 फीसदी की तेजी देखी गई.

Paper Stocks Jump Today: पेपर कंपनियों के शेयरों में सोमवार 25 अगस्त को जोरदार तेजी देखने को मिली. शुरुआती कारोबार में पेपर कंपनियों के शेयरों में 17 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई. सरकार द्वारा वर्जिन मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड (VMPB) पर मिनिमम इंपोर्ट प्राइस (MIP) लागू करने के बाद पेपर के कंपनियों के शेयरों ने रफ्तार पकड़ी है. सरकार ने यह कदम सस्ते इंपोर्ट पर अंकुश लगाने के लिए उठाया है.
TNPL के शेयर में बंपर उछाल
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड (TNPL) ने शुरुआती बढ़त को बरकरार रखते हुए, लगातार दो सत्रों की गिरावट के बाद NSE पर 17 फीसदी की छलांग के साथ 179.90 रुपये के हाई लेवल पर पहुंच गया.
जेके पेपर बना रॉकेट
जेके पेपर में भी चार दिनों की गिरावट के बाद 15 फीसदी की तेजी देखी गई और यह 400 रुपये के पार पहुंच गया. वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स में 13.71 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जबकि ओरिएंट पेपर एंड इंडस्ट्रीज में 8.16 फीसदी का उछाल आया. मालू पेपर मिल्स और आंध्रा पेपर में भी शुरुआती कारोबार में 12 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की गई.
DGFT ने जारी किया नोटिफिकेशन
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन में कहा था कि MIP 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगा. इंपोर्ट के लिए मिनिमम प्राइस तय करके, केंद्र ने सस्ते विदेशी सामानों को प्रभावी रूप से महंगा बना दिया है, जिससे घरेलू उत्पादकों को राहत मिली है.
भारत में पेपर कंपनियां लंबे समय से कम कीमत वाले इंपोर्ट, खासकर इंडोनेशिया और चीन से, से प्रतिस्पर्धा की शिकायत करती रही हैं. भारतीय पेपर मैन्युफैक्चरर संघ ने जून में इंडोनेशिया से वर्जिन मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड के आयात के खिलाफ डंपिंग रोधी जांच की मांग की थी.
VMPB का इस्तेमाल
वर्जिन मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड का बड़े पैमाने पर फार्मास्यूटिकल्स, एफएमसीजी, खाद्य एवं पेय पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, शराब और पब्लिशिंग उद्योग की पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है.
भारतीय पेपर कंपनियों को मिली राहत
मिनिमम इंपोर्ट प्राइस तय करके, सरकार ने सस्ते आयात को महंगा बना दिया है. इससे स्थानीय कंपनियों को सुरक्षा मिलती है, क्योंकि आयातकों को या तो आयातित पेपर बोर्ड के लिए अधिक भुगतान करना पड़ता है या उन्हें भारतीय उत्पादकों से खरीदना पड़ता है. नतीजतन घरेलू मांग भारतीय पेपर कंपनियों की ओर बढ़ने की उम्मीद है.
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