10 साल से इन शेयरों का बोलबाला, हर बार सेंसेक्स को रहे पछाड़, अब भी हैं सस्ते, निवेश का मौका!
इस फिल्टर में ऐसे शेयर सामने आए जो अब भी सही दाम पर मिल रहे हैं. इनमें से सिर्फ दो शेयर ऐसे निकले जिनका 10 साल का सालाना रिटर्न सेंसेक्स से 12.59 फीसदी से ज्यादा रहा. ये दोनों शेयर लंबे समय के शानदार प्रदर्शन और मौजूदा वैल्यूएशन कंफर्ट का दुर्लभ कॉम्बिनेशन दिखाते हैं.
शेयर बाजार में लार्ज कैप कंपनियों का सेंसेक्स से बेहतर प्रदर्शन करना कोई नई बात नहीं है. बीते 10 सालों में कई जानी-मानी कंपनियों ने बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न दिया है. लेकिन लंबे समय तक आउटपरफॉर्म करने के साथ साथ वैल्यूएशन के लिहाज से सस्ते बने रहना काफी दुर्लभ होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए लार्ज कैप शेयरों को वैल्यू रिसर्च वैल्यूएशन स्कोर 7 से 10 के आधार पर छांटा गया. इस फिल्टर में ऐसे शेयर सामने आए जो अब भी सही दाम पर मिल रहे हैं. इनमें से सिर्फ दो शेयर ऐसे निकले जिनका 10 साल का सालाना रिटर्न सेंसेक्स से 12.59 फीसदी से ज्यादा रहा. ये दोनों शेयर लंबे समय के शानदार प्रदर्शन और मौजूदा वैल्यूएशन कंफर्ट का बेहतरीन कॉम्बिनेशन दिखाते हैं.
Tata Steel
- पहला नाम Tata Steel का है. इस शेयर ने बीते 10 सालों में करीब 21.24 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है. कंपनी का वैल्यूएशन स्कोर 8 है. कंपनी का प्रदर्शन ग्लोबल स्टील मार्केट में साइक्लिकल मजबूती और बेहतर ऑपरेशनल मैनेजमेंट का नतीजा है. Tata Steel ने कैपेसिटी बढ़ाने के साथ साथ लागत पर भी सख्त नियंत्रण रखा, जिससे कमोडिटी प्राइस की उठापटक में भी कंपनी संभली रही.
- वर्तमान में शेयर का प्राइस टू इक्विटी रेशियो करीब 30.74 गुना है, जबकि इसका पांच साल का मीडियन करीब 19.92 गुना रहा है.

जोखिम भी हैं शामिल
- Tata Steel का बिजनेस कमोडिटी पर निर्भर है. ग्लोबल स्टील कीमतों में उतार चढ़ाव से मुनाफे पर सीधा असर पड़ता है. कंपनी का प्रदर्शन आर्थिक चक्र से जुड़ा रहता है. मंदी के दौर में मुनाफे पर दबाव आता है.
- बड़े स्तर पर कैपेसिटी विस्तार से कर्ज बढ़ता है. मार्च 2025 तक कंपनी पर कुल कर्ज करीब 88964 करोड रुपये था और डेट टू इक्विटी रेशियो 0.99 के आसपास रहा.
State Bank of India
- दूसरा नाम State Bank of India का है. SBI ने भी बीते 10 सालों में सेंसेक्स को मात दी है. इस दौरान बैंक ने करीब 15.5 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है.
- भारत के सबसे बड़े बैंक होने का फायदा SBI को मिलता है. इसका बड़ा रिटेल और कॉरपोरेट नेटवर्क और एसेट क्वालिटी में लगातार सुधार इसके प्रदर्शन की बड़ी वजह रहे हैं. ताजा सितंबर तिमाही में बैंक का ग्रॉस एनपीए घटकर 1.73 फीसदी रह गया, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.13 फीसदी था. चुनौतीपूर्ण आर्थिक माहौल के बावजूद बैंक ने मुनाफे को बनाए रखा है, जिससे यह लार्ज कैप फाइनेंशियल शेयरों में अलग नजर आता है.
- SBI का प्राइस टू बुक रेशियो करीब 1.66 गुना है, जो इसके पांच साल के मीडियन 1.57 गुना के आसपास ही है.

क्या है रिस्क
एसेट क्वालिटी में सुधार के बावजूद SBI अब भी कॉरपोरेट और रिटेल क्रेडिट साइकिल से प्रभावित होता है. प्राइवेट बैंक लगातार बाजार हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं. डिपॉजिट जुटाने की होड़ के चलते मार्जिन पर दबाव बना रहता है.
इसे भी पढ़ें- इस डेट फ्री स्टॉक में आई महारैली! 3 महीने में 3 गुना से ज्यादा हुआ पैसा, ₹10 से 35 पार पहुंचा शेयर!
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
Latest Stories
दमदार ऑर्डर बुक और कर्जमुक्त है ये रेलवे स्टॉक; 52-वीक हाई से 42% डिस्काउंट पर, 5 साल में 1344% रिटर्न
30 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर जापान में ब्याज दरें, भारत के शेयर बाजार में क्यों मची हलचल, जानें एक्सपर्ट की राय
ICICI Prudential AMC के शेयरों की धमाकेदार एंट्री, 20% प्रीमियम पर लिस्ट, जानें अब खरीदें-बेचें या करें होल्ड
