73 साल की बुजुर्ग से ₹1.43 करोड़ की ठगी! पुलिस अधिकारी बनकर ठग ने दिया धोखा, ऐसे रहें सेफ
साइबर ठगों का नया हथियार बना डिजिटल अरेस्ट स्कैम. ठग खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर फर्जी गिरफ्तारी का नाटक करते हैं. मासूम पीड़ितों को डरा कर बड़ी रकम ऐंठ लेते हैं. हाल में एक बुजुर्ग महिला से 1.43 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है.
इंटरनेट और मोबाइल कॉलिंग के जरिए हो रही ठगी का नया रूप “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” लोगों को जाल में फंसा रहा है. इस ठगी में साइबर अपराधी खुद को पुलिस, सरकारी अधिकारी या जांच एजेंसी का सदस्य बताकर पीड़ितों को डरा-धमकाकर पैसों की वसूली करते हैं. पिछले कुछ महीनों में देशभर में ऐसे मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
हाल ही में कर्नाटक में डिजिटल अरेस्ट स्कैम का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. 73 वर्षीय महिला को ठगों ने कर्नाटक पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया और बताया कि उनका आधार कार्ड एक अपराधी ने इस्तेमाल किया है. ठग ने दावा किया कि वह अपराधी चाइल्ड ट्रैफिकिंग और हत्या जैसे मामलों में शामिल रहा है और अब महिला के नाम पर एक एफआईआर दर्ज की गई है. मामले से नाम हटाने के बहाने ठगों ने नकली पुलिस वर्दी पहनकर वीडियो कॉल पर पूछताछ की और उन्हें डराया-धमकाया. महिला ने जांच से बचने के लिए ठगों के बताए खाते में 1.43 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन कर दिया.
क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?
डिजिटल अरेस्ट स्कैम में ठग पीड़ित को वीडियो कॉल, फोन कॉल या चैट के जरिए यह कहते हैं कि उसके नाम से कोई अपराध दर्ज हुआ है. जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी या किसी पार्सल में गैरकानूनी चीजे मिलने का मामला. फिर ठग खुद को CBI, NIA या पुलिस अधिकारी बताकर कहते हैं कि “आपके खिलाफ जांच चल रही है, आपको अभी ऑनलाइन हिरासत में रहना होगा.”
इस दौरान वे वीडियो कॉल चालू रखने के लिए कहते हैं, ताकि पीड़ित को ऐसा लगे कि उसकी निगरानी हो रही है. यही डिजिटल अरेस्ट होता है.
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कैसे फंसाते हैं ठग?
ठग आमतौर पर किसी भरोसेमंद बहाने से संपर्क करते हैं. जैसे आपकी किसी पार्सल, बैंक लेन-देन या पहचान से जुड़ी शिकायत के बारे में सूचना देकर. वे अधिकारियों के नाम, नकली आईडी कार्ड, फर्जी ई-मेल या वेबसाइट दिखाकर भरोसा जीतते हैं और कॉल आईडी स्पूफिंग से सरकारी नंबर जैसा दिखाते हैं. फिर डर और दबाव पैदा किया जाता है.
वे कहते हैं कि आपके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी, केस में फंसने से बचने के लिए पैसे/ओटीपी/बैंक डिटेल देने होंगे, या वीडियो कॉल चालू रखें ताकि “निगरानी” होती रहे. कई बार यही वीडियो कॉल बंद करने पर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है. कुछ ठग तकनीकी सहायता का बहाना बनाकर फोन या कंप्यूटर में मैलवेयर इंस्टॉल करवा लेते हैं या बार-बार छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन करवा कर जल्दी-जल्दी पैसे उड़ा लेते हैं.
इससे कैसे बचें?
- कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी या पूछताछ नहीं करती.
- कभी भी किसी अनजान व्यक्ति को बैंक डिटेल, ओटीपी या पहचान दस्तावेज न भेजें.
- किसी भी कॉल या ईमेल में अगर डर, धमकी या जल्द कार्रवाई का दबाव डाला जाए तो सावधान हो जाएं.
- किसी संदिग्ध कॉल की पुष्टि के लिए निकटतम थाने या साइबर हेल्पलाइन 1930पर संपर्क करें.
अगर ठगी हो जाए तो कहां करें शिकायत?
अगर कोई इस तरह की ठगी का शिकार हो जाए तो तुरंत ये कदम उठाएं.
- साइबर क्राइम पोर्टल [www.cybercrime.gov.in] पर शिकायत दर्ज करें.
- नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें.
- अपने बैंक को तुरंत सूचित करें ताकि पैसे रोके जा सकें.
- घटना का पूरा विवरण (कॉल रिकॉर्ड, चैट, ट्रांजैक्शन डिटेल) सुरक्षित रखें.
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