अब नहीं चलेगा डीपफेक और फर्जी AI कंटेंट का खेल! MeitY ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए तैयार किया नया ड्राफ्ट
जनरेटिव एआई और डीपफेक के गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 22 अक्टूबर को आईटी नियमों में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसके तहत हर एआई-जनरेटेड कंटेंट पर स्पष्ट लेबल या पहचान चिन्ह लगाना अनिवार्य होगा.

MeitY Generative AI and Deepsfake Draft: भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 22 अक्टूबर को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन के लिए नया ड्राफ्ट प्रस्ताव जारी किया है. इन संशोधनों का मकसद जनरेटिव एआई (Generative AI) और डीपफेक जैसी तकनीकों के गलत इस्तेमाल को रोकना है. इसके जरिये मंत्रालय ने कई प्रस्ताव रखे हैं जिसका मुख्य उद्देश्य भ्रामक कंटेंट से लोगों को सुरक्षित करना है. मौजूदा समय में सोशल मीडिया पर अक्सर कई एआई जेनेटिव कंटेंट (जिसमें वीडियो, फोटो और ऑडियो) को लोग सच समझ कर काफी तेजी से शेयर करने लगते हैं.
इससे लोगों का बड़ा धड़ा गलत जानकारी के झांसे में आ जाता है. इससे लोगों तक न सिर्फ गलत जानकारी पहुंचती है बल्कि कई बार यूजर्स के साथ ठगी होने की भी घटना सामने आती है. सरकार का यह प्रस्ताव इसे पूरी तरह से रोकने से जुड़ा है. आइए विस्तार से समझते हैं.
क्या है नया प्रस्ताव?
MeitY के इस ड्राफ्ट में पहली बार “Synthetically Generated Information” यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये तैयार की गई जानकारी को औपचारिक रूप से परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि जो भी प्लेटफॉर्म ऐसे कंटेंट को बनाते या फैलाते हैं- जैसे AI से बना वीडियो, ऑडियो या इमेज, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह कंटेंट स्पष्ट रूप से लेबल की गई हो, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि यह असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल रूप से जनरेट की गई है.
क्या करना होगा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को?
ड्राफ्ट नियमों के तहत, वे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जो “Synthetically Generated Content” (AI आधारित या संशोधित कंटेंट) बनाने की सुविधा देते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर ऐसी पोस्ट या वीडियो पर एक परमानेंट मेटाडेटा या यूनिक आइडेंटिफायर लगा हो. यह पहचान किसी भी हालत में हटाई या बदली नहीं जा सकेगी. साथ ही, यह मार्किंग साफ तौर पर दिखाई या सुनाई देनी चाहिए-
- अगर वीडियो या इमेज है, तो यह निशान कंटेंट के कम से कम 10 फीसदी हिस्से पर दिखाई दे.
- अगर ऑडियो कंटेंट है, तो यह मार्किंग उसकी शुरुआती 10 फीसदी अवधि में सुनाई देनी चाहिए.
किन प्लेटफॉर्म्स पर होगा असर?
नियमों के तहत जिन प्लेटफॉर्म्स पर 5 मिलियन (50 लाख) से अधिक यूजर्स हैं, उन्हें Significant Social Media Intermediaries (SSMIs) कहा जाता है. इस कैटेगरी में फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व ट्विटर), स्नैपचैट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म शामिल हैं. इन पर अतिरिक्त जिम्मेदारी और अनुपालन की शर्तें लागू होंगी.
क्या है इस प्रस्ताव का उद्देश्य?
MeitY ने कहा कि इन प्रस्तावों का मकसद भारत में इंटरनेट को “ओपन, सेफ, ट्रेस्टेड और अकाउंटेबल” बनाए रखना है. सरकार का कहना है कि डीपफेक और जनरेटिव एआई के बढ़ते इस्तेमाल से गलत सूचना, फर्जी पहचान और चुनावी हस्तक्षेप जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं. नए नियम इन खतरों को कम करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अधिक जिम्मेदार बनाने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकते हैं.
सुझाव देने की अंतिम तारीख
मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर सार्वजनिक सुझाव और टिप्पणियां भी आमंत्रित की हैं. स्टेकहोल्डर्स (प्लेटफॉर्म्स, टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ, नागरिक संगठन आदि) अपने सुझाव 6 नवंबर 2025 तक ईमेल के जरिए भेज सकते हैं. इसके लिए मंत्रालय ने ईमेल आईडी (itrules.consultation@meity.gov.in) भी साझा किया है जिसपर लोग सुझाव दे सकते हैं.
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