क्या होता है डिजिटल अरेस्ट, जिससे पढ़े-लिखे लोग हो रहे हैं शिकार
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का स्कैम है. इसमें घोटालेबाज वीडियो कॉल के माध्यम से सरकारी एजेंसियों, सीबीआई, लॉ इनफोर्समेंट, पुलिस आदि के अधिकारियों के रूप में किसी व्यक्ति को कॉल करते हैं और उसे धमकाने लगते हैं. घोटालेबाज पीड़ित पर अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं और पैसों की मांग करते हैं.

आजकल डिजिटल जमाने में स्कैमर्स भी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक नया तरीका आजकल खूब चलन में है, जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जा रहा है. इसके जरिए स्कैमर्स लोगों को चूना लगा रहे हैं. लेकिन डिजिटल अरेस्ट पर बात करने से पहले पिछले कुछ महीनों में हुई कुछ घटनाओं का जिक्र कर लेते हैं. अगस्त में स्कैमर्स ने लखनऊ के एक न्यूरोलॉजिस्ट के साथ 2.8 करोड़ रुपये की ठगी कर दी.
स्कैमर्स ने सीबीआई अधिकारी के रूप में उन्हें कॉल किया और उन्हें छह दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इसी प्रकार, नोएडा की एक मशहूर डॉक्टर पूजा गोयल को भी स्कैमर्स ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अधिकारी बनकर निशाना बनाया. ठगों ने उन पर अवैध सामग्री वितरित करने के लिए उनके फोन नंबर का उपयोग करने का आरोप लगाया.
लेकिन उन्हें जब तक धोखाधड़ी का पता चला, तब तक दबाव में आकर उन्होंने 60 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए थे. ये अकेले मामले नहीं हैं, ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का स्कैम है. इसमें घोटालेबाज वीडियो कॉल के माध्यम से सरकारी एजेंसियों, सीबीआई, लॉ इनफोर्समेंट, पुलिस आदि के अधिकारियों के रूप में किसी व्यक्ति को कॉल करते हैं और उसे धमकाने लगते हैं. घोटालेबाज पीड़ित पर अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं और पैसों की मांग करते हैं.
वीडियो कॉल के जरिए वे पीड़ित पर ड्रग तस्करी या अवैध वस्तुओं के कब्जे में होने का झूठा आरोप लगाते हैं. कई बार वे झूठे दावे करते हैं कि पीड़ित का कोई परिवार का सदस्य हिरासत में है या किसी गलत काम में पकड़ा गया है. इन सभी चीजों के लिए वे पैसा मांगते हैं और जब तक पीड़ित पैसा नहीं देता, तब तक उसे वीडियो कॉल पर बैठाए रखते हैं.
इसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. इसमें लोगों को ठगने के लिए वीडियो कॉल पर नकली कार्यालय से कॉल की जाती है. स्कैमर्स वर्दी भी पहनते हैं ताकि पीड़ित को लगे कि वे असली अधिकारी हैं. वीडियो कॉल आमतौर पर स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करके की जाती है.
कैसे बचें इन स्कैमर्स से
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए आप कुछ तरीकों का पालन कर सकते हैं. सबसे पहले, घबराएं नहीं. स्कैमर्स पीड़ितों को मजबूर करने के लिए डर और जल्दबाजी दिखाते हैं. उनकी बातों का प्रतिक्रिया देने से पहले सभी चीजों का ध्यानपूर्वक आकलन करें. कॉल करने वाले की पहचान करना बेहद जरूरी है.
यदि कोई लॉ इनफोर्समेंट एजेंसी से होने का दावा करता है, तो वीडियो कॉल पर पैसा बिल्कुल भी न ट्रांसफर करें और आधिकारिक स्रोत से क्रॉस चेक करें. साथ ही, व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से हमेशा बचें. फोन या वीडियो कॉल पर संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी, विशेषकर बैंक अकाउंट की जानकारी, कभी भी साझा न करें.
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