फिर एक्शन में ट्रंप, रूस की दो तेल कंपनियों पर लगाया बैन, चीन को सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट पर सख्ती की तैयारी

अमेरिका ने चीन और रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी के बाद अमेरिकी सॉफ्टवेयर वाले उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं. दूसरी ओर, रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप का आरोप है कि पुतिन यूक्रेन युद्धविराम वार्ता में ईमानदार नहीं दिखे.

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US Software Curb: अमेरिका चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर विचार कर रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अब ट्रंप प्रशासन अमेरिकी सॉफ्टवेयर से बने उत्पादों की आपूर्ति रोकने पर विचार कर रहे हैं. इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है. हालांकि, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने कहा है कि ऐसे किसी भी फैसले पर G7 देशों से बातचीत की जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचा सकता है और अमेरिका को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. साथ अमेरिका ने रूस की दो तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन कंपनियों पर रूस-यूक्रेन युद्ध में फंड करने का आरोप है.

योजना अभी तय नहीं

यह एक मात्र योजना नहीं है जिस पर ट्रंप विचार कर रहे हैं. ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वे अमेरिकी सॉफ्टवेयर वाली चीजों के वैश्विक शिपमेंट पर रोक लगाएंगे. हाल ही में ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि वे चीन से अमेरिका आने वाले सामान पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे. साथ ही 1 नवंबर तक सॉफ्टवेयर से चलने वाली कई चीजों के निर्यात पर भी कंट्रोल करेंगे.

रूस की दो तेल कंपनियों पर प्रतिबंध

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के दो सबसे बड़े तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. ट्रंप के अनुसार, यह कदम व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन वार्ता में ईमानदारी न दिखाने के कारण उठाया गया. ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि पुतिन ने इस बेवकूफी भरे युद्ध को खत्म करने से इनकार किया है. इन दो कंपनियों पर आरोप है कि वे क्रेमलिन को युद्ध के लिए फंड करती हैं इसलिए उन पर कार्रवाई हुई.

ट्रेजरी सचिव का बयान

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा कि इन सभी मुद्दे पर बातचीत हो रही है. जब उनसे चीन पर सॉफ्टवेयर रोक के बारे में पूछा गया. “अगर ये एक्सपोर्ट कंट्रोल जैसी कोई चीज होगी तो, चाहे सॉफ्टवेयर, इंजन या अन्य चीजें होंगे, तो G7 सहयोगियों के साथ इस पर विचार किया जाएगा. एक्सपर्ट का मानना है कि सॉफ्टवेयर अमेरिका के लिए दबाव बनाने का अच्छा हथियार है. लेकिन ऐसे नियंत्रण लागू करना बहुत मुश्किल होगा. इससे अमेरिकी उद्योग को नुकसान होगा.

चीन के साथ दुनियाभर पर डालेगा असर

यह कदम चीन के साथ वैश्विक व्यापार को बाधित कर सकता है. खासकर तकनीकी उत्पादों के लिए. अगर पूरी तरह लागू हुआ तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. यह रूस पर पहले से लगी पाबंदी जैसा ही है. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को अमेरिकी तकनीक या सॉफ्टवेयर से बनी चीजों का निर्यात रोका गया. ट्रंप ने जनवरी में पद संभालने के बाद चीन पर कई टैरिफ लगाए हैं. लेकिन निर्यात पाबंदियों में वे डगमगाए हैं. पहले एनविडिया और एएमडी के एआई चिप्स पर सख्त पाबंदी लगाई फिर हटा दी.

टैरिफ 155% तक जा सकता है

चीनी आयात पर अब 55% अमेरिकी टैरिफ हैं. अगर ट्रंप अपनी धमकी पूरी करेंगे तो 155% हो जाएंगे. लेकिन ट्रंप ने धमकियों के बाद अपना रुख नरम किया. 12 अक्टूबर को पोस्ट किया कि “अमेरिका चीन की मदद करना चाहता है, नुकसान नहीं. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव बेसेंट इस हफ्ते मलेशिया में चीनी वाइस प्रीमियर हे लिफेंग से मिलेंगे. ट्रंप और शी की दक्षिण कोरिया में बैठक से पहले.