तेज हेडलाइट्स की समस्या का अब मिल गया है हल, ऑटो-डिमिंग मिरर बन रहा है ड्राइवर्स का पसंदीदा फीचर

रात में तेज हेडलाइट्स की वजह से ड्राइविंग के दौरान आंखों की परेशानी अब बीते समय की बात है. नई Auto-Dimming Mirror तकनीक ड्राइवर्स के लिए वरदान साबित हो रही है. यह स्मार्ट मिरर इलेक्ट्रोक्रोमिक तकनीक से काम करता है. इससे आंखों पर दबाव कम पड़ता है, विजिबिलिटी बेहतर होती है और हाईवे ड्राइविंग अधिक सुरक्षित बनती है.

ऑटो-डिमिंग रियर-व्यू मिरर फीचर्स Image Credit: ai generated

Auto-Dimming Mirror: रात में गाड़ी चलाते समय पीछे से आने वाली कार की तेज हेडलाइट्स आंखों को चौंधिया देती हैं, जिससे रियर-व्यू मिरर में देखना मुश्किल हो जाता है. इस समस्या से परेशान हर ड्राइवर के लिए ऑटो-डिमिंग रियर-व्यू मिरर (Auto-Dimming RVM) एक वरदान साबित हो रहा है. यह तकनीक, जो पहले केवल हाई-एंड लक्जरी कारों तक सीमित थी, अब धीरे-धीरे मिड-रेंज और यहां तक कि कुछ किफायती मॉडलों में भी इंसाइड रियर-व्यू मिरर (IRVM) के रूप में देखने को मिल रही है. यह न केवल ड्राइविंग अनुभव को बेहतर बना रही है, बल्कि सुरक्षा को भी एक नया आयाम दे रही है.

कैसे काम करती है यह तकनीक

ऑटो-डिमिंग मिरर की कार्यप्रणाली बेहद दिलचस्प है. यह कोई साधारण टिंटेड ग्लास नहीं, बल्कि एक स्मार्ट सिस्टम है जो इलेक्ट्रोक्रोमिक तकनीक पर आधारित है. इस सिस्टम के दो प्रमुख सेंसर होते हैं. पहला सेंसर मिरर के सामने की ओर (कार के अंदर) लगा होता है, जो आसपास की एम्बिएंट लाइट को मापता है. दूसरा सेंसर मिरर के पीछे की ओर लगा होता है, जिसका काम पीछे से आने वाली कार की हेडलाइट्स की तीव्रता को पहचानना है.

रियर-व्यू मिरर के शीशे में दो पतली परतें होती हैं और उनके बीच एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रोक्रोमिक जेल भरा होता है. सामान्य स्थिति में यह जेल पारदर्शी होता है और दर्पण सामान्य रूप से काम करता है. जैसे ही पीछे वाला सेंसर तेज रोशनी (जैसे हाई-बीम हेडलाइट्स) को महसूस करता है और सामने वाला सेंसर यह पुष्टि करता है कि बाहर का वातावरण अंधेरा है (यानी रात का समय है), सिस्टम सक्रिय हो जाता है. यह मिरर की दोनों परतों के बीच एक हल्का वोल्टेज प्रवाहित करता है.

रोशनी को करता है अवशोषित

वोल्टेज के कारण इलेक्ट्रोक्रोमिक जेल में एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है और वह गहरे रंग (आमतौर पर नीले या हरे शेड में) का हो जाता है. यह गहरा पड़ा हुआ दर्पण पीछे से आने वाली चौंधियाने वाली रोशनी को अवशोषित कर लेता है और उसे कम करके दिखाता है. इससे ड्राइवर की आंखों पर दबाव नहीं पड़ता और पीछे का दृश्य स्पष्ट तथा सुरक्षित बना रहता है.

ड्राइविंग अनुभव में बदलाव

इस तकनीक से ड्राइवर्स को कई फायदे मिलते हैं-

  • आंखों के तनाव में कमी: तेज रोशनी से आंखों पर पड़ने वाले दबाव से राहत मिलती है, जिससे लंबी रात की ड्राइव के बाद भी आंखों में थकान कम होती है.
  • बेहतर विजिबिलिटी: ड्राइवर को मिरर को बार-बार मैन्युअली एडजस्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे ध्यान भंग नहीं होता और ड्राइविंग पर फोकस बना रहता है.
  • सुरक्षा में बढ़ोतरी: चौंधियाहट के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम हो जाती है, खासकर हाईवे ड्राइविंग के दौरान.

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