विप्रो, आईआईएससी और आरवी कॉलेज ने मिलकर बनाई Driverless कार, बेंगलुरु में की गई Unveil

विप्रो, आईआईएससी और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने बेंगलुरु में स्वदेशी तकनीक से विकसित ड्राइवरलेस कार ‘विरिन’ पेश की है. यह छह साल के रिसर्च का परिणाम है जो भारतीय सड़कों के अनुरूप डिजाइन की गई है. कार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और 5G आधारित ऑटोनॉमस सिस्टम पर काम करती है.

ड्राइवरलेस कार Image Credit: X

भारत में टेक्नोलॉजी इनोवेशन में एक नया अध्याय जुड़ गया है. आईटी दिग्गज विप्रो, प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने मिलकर स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई एक ड्राइवरलेस (Driverless) कार का सफल प्रदर्शन किया है. इस कार को विरिन (WIRIN – Wipro-IISc Research and Innovation Network) नाम दिया गया है. बेंगलुरु स्थित आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में 27 अक्टूबर को इस कार को अनवील किया है. इस प्रोजेक्ट को आरवी कॉलेज के फैकल्टी सदस्य उत्तरा कुमारी और राजा विद्या के नेतृत्व में छह वर्षों की मेहनत से तैयार किया गया है.

सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल

सोशल मीडिया पर इस कार का एक 28 सेकंड का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें उत्तरादी मठ के श्री श्री 1008 सत्याात्म तीर्थ श्रीपादांगलु को कार के अंदर बैठे देखा जा सकता है. वीडियो में यह कार बिना ड्राइवर के कॉलेज परिसर में आसानी से चलती हुई नजर आ रही है जो पूरी तरह स्वदेशी सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी से संचालित है.

2019 में शुरू हुआ था इस पर काम

जानकारी के अनुसार, इस ड्राइवरलेस कार को बनाने का काम 2019 में शुरू हुआ था जब विप्रो और आईआईएससी ने मिलकर भारतीय सड़कों की परिस्थितियों- जैसे गड्ढे, पशु-पक्षियों की आवाजाही और भीड़भाड़ वाले रास्तों को ध्यान में रखते हुए एक प्रोटोटाइप तैयार करने की योजना बनाई थी. इस ज्वाइंट पहल के तहत WIRIN (Wipro IISc Research and Innovation Network) की स्थापना की गई जो ऑटोनॉमस सिस्टम्स, रोबोटिक्स, 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, विजुअल कंप्यूटिंग, और व्हीकल-टू-एवरीथिंग (V2X) कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में रिसर्च को आगे बढ़ा रहा है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल भारत में स्वदेशी ऑटोनॉमस व्हीकल तकनीक को नई दिशा देगा बल्कि इंडस्ट्री के लिए भी कई व्यावहारिक समाधान भी उपलब्ध कराएगा. यह पहल भारत को ग्लोबल सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मजबूत स्थिति में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.