ट्यूबलेस टायर का गेम ओवर! अब सड़कों पर राज करेगा Airless Tires, जानें कीमत और कैसे करते हैं काम?
बाजार में एयरलेस टायर्स की चर्चा जोरों पर है. इन्हें टायर टेक्नोलॉजी का अगला बड़ा बदलाव माना जा रहा है. ऐसे में आइए समझते हैं कि एयरलेस टायर क्या हैं, कैसे काम करते हैं, इनके फायदे-नुकसान क्या हैं और यह ट्यूबलेस टायर से कैसे अलग है.
Airless Tires: भारतीय ऑटो मार्केट तेजी से बदल रहा है. कुछ साल पहले तक जहां ट्यूब वाले टायर आम थे, वहीं बाद में ट्यूबलेस टायर आए और लोगों की सुरक्षा व सुविधा दोनों बढ़ गईं. लेकिन अब बाजार में एयरलेस टायर्स की चर्चा जोरों पर है. इन्हें टायर टेक्नोलॉजी का अगला बड़ा बदलाव माना जा रहा है. ऐसे में आइए समझते हैं कि एयरलेस टायर क्या हैं, कैसे काम करते हैं, इनके फायदे-नुकसान क्या हैं और यह ट्यूबलेस टायर से कैसे अलग है.
एयरलेस टायर्स क्या होते हैं?
एयरलेस टायर का सबसे खास फायदा है कि इन्हें हवा की जरूरत नहीं होती. ऐसे में न हवा भरने की दिक्कत, न पंक्चर का टेंशन और न ही टायर फटने का डर. इन टायरों के अंदर हवा की जगह मजबूत रबर के स्पोक्स और बेल्ट लगे होते हैं, जो टायर को आकार और ताकत देते हैं. इसी वजह से ये पत्थर, कांच या कील जैसी चीजों पर भी आसानी से निकल जाते हैं और खराब होने की संभावना बहुत कम रहती है.
इनका डिजाइन भी काफी फ्यूचरिस्टिक होता है, क्योंकि इनकी अंदरूनी बनावट बाहर से ही दिखती है. सबसे अच्छी बात ये है कि पूरी तरह मेंटेनेंस-फ्री हैं. न हवा जांचने की जरूरत और न बार-बार मरम्मत का झंझट. यह इन्हें लंबी ड्राइव और खराब सड़कों पर उपयोग के लिए बेहतरीन बनाता है.
भारत में एयरलेस टायर की कीमत
फिलहाल एयरलेस टायर की कीमतें काफी ज्यादा हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार एयरलेस टायर की कीमत 10000 से 20000 रुपये हो सकती है. वहीं साधारण ट्यूबलेस टायर की कीमत केवल 1500 से 7000 के बीच होती है. यानी इस समय एयरलेस टायर ट्यूबलेस की तुलना में कई गुना महंगे हैं. हालांकि, जैसे-जैसे इनकी मांग बढ़ेगी, कीमतें कम होने की उम्मीद है.
कैसे काम करते हैं एयरलेस टायर?
एयरलेस टायर सड़क पर किसी भी उभरी या नुकीली चीज से टकराने पर उसके आकार के हिसाब से अपने स्पोक्स को मोड़ लेते हैं. क्योंकि इनके अंदर हवा नहीं होती, इसलिए ये न फटते हैं, न पंक्चर होते हैं. ये तकनीक इन्हें पूरी तरह पंक्चर-प्रूफ बनाती है.
| फायदे | नुकसान |
| ◉ पंक्चर का कोई डर नहीं. ◉ जीरो मेंटेनेंस. इसमें न हवा भरवानी, न प्रेशर चेक करना. ◉ लंबी उम्र और मजबूत पकड़. ◉ लॉन्ग ड्राइव और ऑफ-रोडिंग के लिए बेहतर. ◉ ब्लास्ट होने का जीरो रिस्क. ◉ इन वजहों से एयरलेस टायर आने वाले समय में गाड़ियों के लिए बड़ी क्रांति साबित हो सकते हैं. | ◉ ये थोड़ा झटकेदार (बाउंसी) महसूस हो सकते हैं. ◉ सड़क से ज्यादा संपर्क होने के कारण कंपन (वाइब्रेशन) बढ़ जाते हैं. ◉ टायर को घुमाने में ज्यादा पावर लगती है, जिससे इलैक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी तेजी से खत्म हो सकती है. ◉ फिलहाल इनमें माइलेज थोड़ा कम मिलता है. ◉ कीमत अभी भी काफी अधिक है. |
क्या यह टायर भविष्य के लिए है तैयार?
एयरलेस टायर ऑटोमोबाइल दुनिया में एक बड़ी तकनीकी क्रांति माने जा रहे हैं. ये पंक्चर-फ्री, मेंटेनेंस-फ्री और बेहद टिकाऊ होते हैं. हालांकि कीमत और राइड क्वालिटी अभी इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है. जैसे-जैसे यह तकनीक आम होगी, इनके दाम घटेंगे और राइड क्वालिटी भी बेहतर होगी. फिलहाल, यह साफ है कि एयरलेस टायर आने वाले समय में भारतीय सड़कों पर गाड़ियों को और सुरक्षित और सुविधाजनक बना सकते हैं.
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