देश में दौड़ेगी वंदे भारत 4.0, अगले 18 महीने में होगी लॉन्च; स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन का भी हुआ ऐलान
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16वीं इंटरनेशनल रेलवे इक्विपमेंट एग्जिबिशन 2025 में वंदे भारत 4.0 और भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन की घोषणा की है. नई ट्रेन 18 महीनों में लॉन्च होगी और इसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी, बेहतर यात्री सुविधा और स्वदेशी कवच सुरक्षा सिस्टम होगा. इसके साथ ही देश में हाई-स्पीड पैसेंजर ट्रेन कॉरिडोर और अमृत भारत ट्रेनों के वर्जन 4.0 की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए हैं.

Vande Bharat 4.0: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को 16वीं इंटरनेशनल रेलवे इक्विपमेंट एग्जिबिशन 2025 का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत वंदे भारत 4.0 के विकास के साथ रेलवे आधुनिकीकरण में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य ट्रेनसेट की घरेलू और एक्सपोर्ट, दोनों मांगों को पूरा करना है. अगली पीढ़ी की वंदे भारत 4.0 टेक्नोलॉजी और यात्री सुविधा के मामले में एक विश्वस्तरीय मानक स्थापित करेगी.
18 महीने में शुरू करने की तैयारी
वैष्णव ने कहा, “हमें अपनी वंदे भारत सेवा की नए सिरे से कल्पना करनी चाहिए और एक पूरी तरह नई टेक्नोलॉजी के साथ आना चाहिए, जो सभी मापदंडों पर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टेक्नोलॉजी के बराबर हो.” उन्होंने बताया कि उन्नत ट्रेन में बेहतर शौचालय, आरामदायक बैठने की व्यवस्था और उत्कृष्ट कोच कारीगरी होगी, जिसे अगले 18 महीनों में शुरू करने का लक्ष्य है.
हाई-स्पीड पैसेंजर ट्रेन कॉरिडोर बनाने का लक्ष्य
वर्तमान में वंदे भारत 3.0 पहले से ही अंतरराष्ट्रीय ट्रेनों से प्रतिस्पर्धा कर रही है. यह मात्र 52 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है, जो जापान और यूरोप की ट्रेनों से तेज है. इसके अलावा यह कम शोर और वाइब्रेशन भी उत्पन्न करती है. वैष्णव ने इसे “अगले स्तर पर ले जाने” की आवश्यकता पर जोर दिया.
वंदे भारत 4.0 के साथ-साथ भारत बुलेट ट्रेन नेटवर्क की तरह समर्पित हाई-स्पीड पैसेंजर ट्रेन कॉरिडोर भी विकसित करेगा, जिनकी अधिकतम स्पीड 350 किमी प्रति घंटा होगी. ये कॉरिडोर विकसित भारत विजन 2047 के तहत लगभग 7,000 किमी समर्पित रूट तैयार करने की योजना का हिस्सा हैं.
हाइड्रोजन ट्रेन की घोषणा
अमृत भारत ट्रेनों को भी वर्जन 4.0 में अपग्रेड किया जा रहा है, जिसमें नई पीढ़ी के कोच और पुश-पुल इंजन अगले 36 महीनों के भीतर परीक्षण के लिए तैयार होंगे. सुरक्षा के लिहाज से, भारत की स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 को तैनात किया जा रहा है, जबकि कवच 5.0 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों को सपोर्ट करेगा.
वैष्णव ने ग्रीन टेक्नोलॉजी में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डाला और पूरी तरह से घरेलू स्तर पर विकसित 2400 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन की घोषणा की. उन्होंने कहा, “हम इस टेक्नोलॉजी का आयात नहीं करेंगे, इसे हम स्वयं डिजाइन करेंगे.”
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