PNB: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशक ध्यान दें, मुनाफे के लिए बैंक जाकर तुरंत करें ये काम

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) और आरबीआई बॉन्ड निवेशक, जिन्हें अभी तक ब्याज नहीं मिला है. साथ ही जिनके बॉन्ड मैच्योर हो गए हैं या होने वाले हैं. उन्हें 5 दिनों के भीतर अपनी शाखा में जाकर अपने बैंक खातों को वेरीफाई करना होगा.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड Image Credit: Money 9

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने अहम जानकारी दी है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) और आरबीआई बॉन्ड निवेशक, जिन्हें अभी तक ब्याज नहीं मिला है. साथ ही जिनके बॉन्ड मैच्योर हो गए हैं या होने वाले हैं. उन्हें 5 दिनों के भीतर अपनी शाखा में जाकर अपने बैंक खातों को वेरीफाई करना होगा. अगर आपने भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) और आरबीआई बॉन्ड निवेशक है तो जल्द ही शाखा में जाकर अपने बैंक खातों का वेरीफाई करा लें.

दरअसल इस बात की जानकारी खुद पंजाब नेशनल बैंक ने सोशल मीडिया एक्स पर दी है. बैंक ने एक्स पर लिखा “प्रिय ग्राहक, PNB के सभी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)/RBI बॉन्ड निवेशक, विशेष रूप से वे जिनके ब्याज का भुगतान नहीं किया जा रहा है और जिनके बॉन्ड पहले ही मैच्योर हो चुके हैं या मैच्योर होने वाले हैं, उनसे अनुरोध है कि वे अपनी शाखा में जाएं और 5 दिनों के भीतर बैंक खाते को वेरिफाई करें. गलत खाता संख्या या बंद खाता संख्या के मामले में, बैंक किसी भी देरी के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.

बैंक ने आगे लिखा कि 6 साल से अधिक समय तक दावा न किए गए ब्याज या मूलधन के मामले में, ग्राहक को RBI/बैंक वेबसाइट पर RBI दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. इसके अलावा, यह अनुरोध किया जाता है कि वे अपने ऑपरेटिव खातों को रिडेम्प्शन तक बंद न करें. ऑपरेटिव खाते को बंद करने की तत्काल आवश्यकता के मामले में, कृपया ऑपरेटिव खाता बंद करने से पहले वैकल्पिक खाता डिटेल प्रदान करें, ऐसा न करने पर रिडेम्प्शन और ब्याज राशि जमा नहीं की जाएगी.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) क्या है?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सरकारी सिक्योरिटी हैं जिसकी कीमत ग्राम सोने में होता है. यह फिजिकल गोल्ड को रखने के विकल्प हैं. निवेशकों को इशू प्राइस का भुगतान नकद में करना होता है. साथ ही बांड के मैच्योर होने पर नकद में भुनाया जाता है. बांड भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है.

RBI की दिशानिर्देश

निवेशक को मैच्योरिटी से एक महीने पहले सूचित किया जाएगा. निवेशक को अपनी डिटेल में किसी भी बदलाव की सूचना बैंक/एसएचसीआईएल/पीओ को देनी होगी. यदि 30 दिनों के भीतर दावा नहीं किया गया है, तो राशि को एस्क्रो खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. 7 साल से अधिक की अवधि के लिए दवा न की गई राशि को आईपीईएफ में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.