सरकार के नए प्लान से तेल कंपनियां कमाएंगी मुनाफा, BPCL समेत इन 4 शेयरों पर रखें नजर; दिख सकती है रफ्तार

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि अब डीजल में इथेनॉल की जगह आइसोब्यूटेनॉल मिलाया जाएगा. यह कदम भारत के हर साल 22 लाख करोड़ रुपये के फॉसिल फ्यूल आयात को कम करने के लिए उठाया गया है. अगर डीजल में 10 फीसदी आइसोब्यूटेनॉल मिलाया जाए, तो बायोफ्यूल और इससे जुड़े उद्योगों के लिए अरबों रुपये का मौका बन सकता है. यहां चार ऐसी कंपनियों के स्टॉक हैं, जिन पर इस बदलाव के दौरान नजर रखनी चाहिए.

ऑयल स्टॉक्स. Image Credit: Canva

Oil Stocks: भारत में डीजल के इस्तेमाल में बड़ा बदलाव होने वाला है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि अब डीजल में इथेनॉल की जगह आइसोब्यूटेनॉल मिलाया जाएगा. यह कदम भारत के हर साल 22 लाख करोड़ रुपये के फॉसिल फ्यूल आयात को कम करने के लिए उठाया गया है. आइसोब्यूटेनॉल एक ऐसा बायोफ्यूल है जो ज्यादा ऊर्जा देता है और मौजूदा सिस्टम के साथ आसानी से काम करता है.

यह भारत के डीजल इस्तेमाल में बड़ा बदलाव ला सकता है. भारत में डीजल की खपत कुल तेल खपत का 40 फीसदी है. साल 2025 में डीजल की खपत 91.4 मिलियन टन थी, जो पिछले साल से 2 फीसदी ज्यादा है. अगर डीजल में 10 फीसदी आइसोब्यूटेनॉल मिलाया जाए, तो बायोफ्यूल और इससे जुड़े उद्योगों के लिए अरबों रुपये का मौका बन सकता है. यहां चार ऐसी कंपनियों के स्टॉक हैं, जिन पर इस बदलाव के दौरान नजर रखनी चाहिए.

किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स (Kirloskar Oil Engines)

किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स किर्लोस्कर ग्रुप की एक प्रमुख कंपनी है. यह कंपनी डीजल इंजन, डीजल जेनरेटर सेट, और डीजल, पेट्रोल व केरोसिन पर चलने वाले पंप सेट बनाती है. यह कंपनी कई उद्योगों जैसे कि परमाणु ऊर्जा, खेती, थर्मल पावर और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को अपने प्रोडक्ट देती है. अगस्त 2025 में, कंपनी ने इथेनॉल और आइसोब्यूटेनॉल पर चलने वाली नई इंजन तकनीक लॉन्च की. यह तकनीक जेनरेटर के लिए है और इसे भारत की ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन (ARAI) ने टेस्ट किया है. यह दुनिया में अपनी तरह की पहली तकनीक है.

ये इंजन ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं और इथेनॉल व आइसोब्यूटेनॉल जैसे रिन्यूएबल बायोफ्यूल के साथ काम करते हैं. ये इंजन औद्योगिक और व्यावसायिक जरूरतों के लिए भी उपयुक्त हैं. आइसोब्यूटेनॉल को डीजल में मिलाने की सरकारी योजना के साथ, किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स अच्छी स्थिति में है. पिछले पांच साल में कंपनी की इनकम और मुनाफा तेजी से बढ़ा है. इसकी बिक्री 13.4 फीसदी की सालाना दर से बढ़ी है और मुनाफा 20.4 फीसदी की दर से. कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 13 फीसदी और रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) 15.5 फीसदी रहा है.

आंध्रा पेट्रोकेमिकल्स (Andhra Petrochemicals)

आंध्रा पेट्रोकेमिकल्स (APL) आंध्रा प्रादेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (APIDC) और आंध्रा शुगर लिमिटेड (ASL) की साझेदारी वाली कंपनी है. यह कंपनी विशाखापट्टनम में शुरू हुई थी और इसकी शुरुआती क्षमता 30,000 टन प्रति वर्ष थी. अब यह बढ़कर 73,000 टन हो गई है. इसका मेन प्रोडक्ट आइसोब्यूटेनॉल है. कंपनी का आइसोब्यूटेनॉल बहुत हाई क्ववालिटी का है. इसमें 99 फीसदी शुद्धता होती है. इसे कई उद्योगों जैसे सॉल्वेंट, Chemical mediators और एनर्जी सेक्टर में इस्तेमाल किया जाता है. भारत सरकार की बायोफ्यूल नीति के तहत आइसोब्यूटेनॉल की मांग बढ़ेगी, जिससे यह कंपनी फायदा उठा सकती है. पिछले 5 साल में कंपनी की बिक्री 14.7 फीसदी और मुनाफा 46.1 फीसदी की दर से बढ़ा है. इसका ROE 18.4 फीसदी और ROCE 27.6 फीसदी रहा है.

बीपीसीएल (BPCL)

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) भारत की एक बड़ी सरकारी कंपनी है. यह तेल और गैस क्षेत्र में काम करती है. यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी (OMC) है. इसका बाजार हिस्सा 27.4 फीसदी है. इसकी सालाना बिक्री 51 मिलियन टन है. यह देश की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी है. इसकी क्षमता 35.3 मिलियन टन है. यह भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 14 फीसदी है. BPCL आइसोब्यूटेनॉल भी बनाती है, जो प्रोपीलीन के कार्बोनाइलेशन से प्राप्त होता है. यह कंपनी आइसोब्यूटेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में है. पिछले पांच साल में कंपनी की बिक्री 29.5 फीसदी और मुनाफा 12 फीसदी की दर से बढ़ा है. इसका ROE 22.3 फीसदी और ROCE 23.1 फीसदी रहा है.

प्राज इंडस्ट्रीज (Praj Industries)

प्राज इंडस्ट्रीज एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी है. यह बायोफ्यूल तकनीकों पर काम करती है. यह इथेनॉल, बायोडीजल, रिन्यूएबल प्राकृतिक गैस और बायोगैस बनाती है. कंपनी ने अमेरिकी कंपनी गेवो (Gevo) के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत यह गेवो की तकनीक का इस्तेमाल कर चीनी आधारित कच्चे माल (जैसे रस, सिरप और गुड़) से आइसोब्यूटेनॉल बनाएगी. यह आइसोब्यूटेनॉल विमानन ईंधन और रेसिंग ईंधन जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होता है. सरकार की आइसोब्यूटेनॉल नीति से इस कंपनी को भी फायदा होगा. पिछले पांच साल में कंपनी की बिक्री 21 फीसदी और मुनाफा 25.5 फीसदी की दर से बढ़ा है. इसका ROE 17.4 फीसदी और ROCE 24.1 फीसदी रहा है.

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डेटा सोर्स: इक्विटीमास्टर, बीएसई

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