रेगुलेटरी क्लीनिंग के बाद रि-रेटिंग को तैयार प्राइवेट बैंक, 6 स्टॉक्स पर रखें नजर; 49% तक उछाल की उम्मीद

रेगुलेटरी क्लीन-अप और गवर्नेंस सुधार के बाद प्राइवेट बैंकों में रि-रेटिंग की उम्मीद बढ़ गई है. इन बैंकों में हुए सुधारों का असर आने वाले दिनों में इनके स्टॉक्स पर भी देखने को मिल सकता है. लिहाजा, इन स्टॉक्स को वॉचलिस्ट में शामिल किया जा सकता है.

आज इन शेयरों पर रखें नजर. Image Credit: freepik, canva

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पिछले एक दशक में रेगुलेटरी सख्ती के चलते तमाम छोटे और मिड साइज बैंकों की सेहत में काफी सुधार आया है. RBI की तरफ से चलाए गए रेगुलेटरी क्लीन-अप अभियानों और कॉरपोरेट गवर्नेंस की कड़ी निगरानी ने उस दौर को खत्म कर दिया है, जब छोटे प्राइवेट बैंक कमजोर अकाउंट बुक्स में क्षेत्रीय निर्भरता के कारण डिस्काउंट वैल्यूएशन में फंसे रहते थे. यही वजह है कि अब विदेशी निवेशक इन बैंकों को नए सिरे से देख रहे हैं और सेक्टर में एक सस्टेन्ड रि-रेटिंग की चर्चा तेज है.

बदल रहा FDI का रुझान

पिछले तीन महीनों में बैंकिंग सेक्टर में रिकॉर्ड FDI इनफ्लो देखने को मिला है. खास बात यह है कि यह निवेश केवल बड़े ब्रांडेड प्राइवेट बैंकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका बड़ा हिस्सा उन मिड-साइज संस्थानों की तरफ जा रहा है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में ऑपरेशनल क्लीन-अप और बैलेंस शीट सुधार का अहम चरण पार किया है. रेगुलेटरी आर्बिट्राज खत्म होने के बाद अब सभी बैंक एक समान नियमों के तहत काम कर रहे हैं, जिससे छोटे प्राइवेट बैंक भी ग्रोथ और वैल्यूएशन दोनों के लिए बेहतर स्थिति में आ गए हैं.

गवर्नेंस स्ट्रक्चर में सुधार से बढ़ा भरोसा

क्लीन-अप का असर अब बोर्डरूम तक पहुंच चुका है. पिछले दिनों एक प्राइवेट बैंक के MD–CEO को अनियमित खर्च के चलते पद से हटाया गया, जो इस बात का संकेत है कि गवर्नेंस को लेकर अब कोई समझौता नहीं होगाा. एक दशक पहले ऐसा कदम संभव नहीं माना जाता था. बोर्ड और ऑडिट कमेटियों की सख्त भूमिका ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है और इन बैंकों में ‘डी-रिस्किंग’ की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी है.

NPA में गिरावट, क्रेडिट कॉस्ट पर कंट्रोल

इन मिड-साइज बैंकों की सबसे बड़ी कमजोरी कभी एसेट क्वालिटी मानी जाती थी. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि क्लीन-अप के बाद हालात काफी बदल चुके हैं. Karnataka Bank का नेट NPA FY21 के 3.2% से घटकर FY24 में 1.6% पर आ गया है, जबकि Karur Vysya Bank में यह गिरावट और भी तेज रही और लगभग 5% से घटकर 0.4% तक आ गई है. RBL Bank भी 2.1% से 0.7% पर आ चुका है. इन सुधारों ने न केवल प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ाई है, बल्कि इन बैंकों को संभावित रि-रेटिंग के लिए तैयार भी किया है.

कौनसे बैंक से कितने रिटर्न की उम्मीद?

Trendlyne और ET के Stock Reports Plus के मुताबिक Karnataka Bank सबसे ऊपर है, जिसमें 49% तक की तेजी की उम्मीद जताई गई है. मजबूत ROCE, बेहतर NIM और तेज प्रॉफिट ग्रोथ ने इसे निवेशकों की पहली पसंद बनाया है. दूसरी ओर RBL Bank में 35% की संभावित तेजी का अनुमान है, क्योंकि बैंक का क्रेडिट कार्ड बिजनेस और हाई-यील्ड पोर्टफोलियो तेजी से बढ़ रहा है. Karur Vysya Bank भी 30% की संभावित अपसाइड के साथ लिस्ट में शामिल है, जहां बैलेंस शीट क्लीन-अप और FY23 के 1,106 करोड़ के मुनाफे ने निवेशक सेंटिमेंट को बदल दिया है. Federal Bank में 21% और City Union Bank में करीब 13% की अपसाइड संभावना बनी हुई है. इस लिस्ट में DCB Bank भी शामिल है.

कंपनी का नामलेटेस्ट एवरेज स्कोरब्रोकरेज
की राय
एनालिस्ट काउंटसंभावित अपसाइड (%)इंस्टिट्यूशनल स्टेक (%)
Karnataka Bank Ltd8Strong Buy349%22.8%
RBL Bank Ltd5Buy1735%43.0%
Karur Vysya Bank Ltd10Buy1530%41.5%
Federal Bank Ltd7Buy3221%60.8%
City Union Bank9Buy2213%55.3%

रेगुलेटरी सख्ती का दौर अब लगभग पूरा हो चुका है और बैलेंस शीट स्ट्रेंथ के साथ छोटे प्राइवेट बैंक एक नई ग्रोथ साइकल की दहलीज पर खड़े हैं. सेक्टर में बढ़ती FII रुचि, NPA साइकल का सुधार और बोर्ड की पारदर्शिता ने इन बैंकों को रि-रेटिंग के लिए एक मजबूत आधार दिया है. निवेशकों को इस स्पेस पर करीबी नजर रखनी चाहिए, क्योंकि वैल्यू और ग्रोथ का यह कॉम्बिनेशन लंबे समय बाद छोटे प्राइवेट बैंकों में दिखाई दे रहा है.

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डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.