Bihar election 2025: तेजस्वी से लेकर अनंत सिंह तक मैदान में, अब तक 13% वोटिंग; पहले फेज में डाले जा रहे वोट
Bihar election 2025: पहले चरण में कई मंत्रियों के साथ-साथ राजद नेता तेजस्वी यादव और उनके अलग हुए भाई तेज प्रताप की किस्मत भी तय होगी. चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 'एक्स' फैक्टर माना जा रहा है, जो इस रोमांचक मुकाबले में रोमांच बढ़ा रही है.
Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए गुरुवार 6 नवंबर को वोट डाले जा रहे हैं. राज्य की 243 सीटों में से 121 पर मतदान जारी है, जिससे सत्तारूढ़ एनडीए और फिर से उभर रहे महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. पहले चरण में कई मंत्रियों के साथ-साथ राजद नेता तेजस्वी यादव और उनके अलग हुए भाई तेज प्रताप की किस्मत भी तय होगी. चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को ‘एक्स’ फैक्टर माना जा रहा है, जो इस रोमांचक मुकाबले में रोमांच बढ़ा रही है.
मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 5 बजे तक 45,341 मतदान केंद्रों पर चलेगा. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, सुबह 9 बजे तक मतदान प्रतिशत 13.13% रहा, जिसमें सबसे अधिक मतदान सहरसा जिले (15.27%) में हुआ.
इस चरण की प्रमुख सीटों में राघोपुर शामिल है, जहां से तेजस्वी हैट्रिक की उम्मीद कर रहे हैं. महुआ विधानसभा सीट से तेज प्रताप यादव मैदान में हैं और तारापुर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं.
आरोप-प्रत्यारोप और वोटरों को लुभाने की कोशिश
सत्तारूढ़ एनडीए राज्य में नीतीश कुमार के 20 साल के शासन और केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी सरकार के 11 साल के शासन के दम पर दोबारा चुनाव लड़ रहा है. विपक्षी महागठबंधन सत्ता विरोधी लहर, कुशासन और रोजगार के वादों पर वोट मांग रहा है. पहले चरण के चुनाव प्रचार में राजद और कांग्रेस ने बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा की कठपुतली बताने के मुद्दे पर वोटरों को लुभाने की कोशिश की. दूसरी ओर, एनडीए ने राजद को घेरने के लिए ‘जंगल राज’ का राग अलापा.
मैदान में दिग्गज चेहरे
राघोपुर में जोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा, जहां तेजस्वी का मुकाबला भाजपा के सतीश कुमार से है. उन्होंने 2010 के चुनावों में पूर्व सीएम राबड़ी देवी को हराया था. इस बार, कुमार जदयू के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं. प्रशांत किशोर की पार्टी भी मैदान में है.
महुआ में तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप मौजूदा राजद विधायक मुकेश रौशन से सीट छीनने की कोशिश कर रहे हैं. इस साल की शुरुआत में राजद से निष्कासित होने के बाद हसनपुर विधायक तेज प्रताप के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है.
लोक गायिका मैथिली ठाकुर, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, अलीनगर से मैदान में हैं. यह क्षेत्र लंबे समय से राजद का गढ़ रहा है भाजपा की सबसे युवा उम्मीदवार ठाकुर, उच्च जाति के ब्राह्मण बहुल इस निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल करने की कोशिश में जुटी हैं. आज उनकी सियासी किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी.
भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव छपरा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और रितेश पांडे करगहर से जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनावी ताल ठोक रहे है.
नीतीश कुमार सरकार के कई मंत्री, जिनमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भी शामिल हैं, के चुनावी भाग्य का फैसला भी होगा. सिन्हा जहां लगातार चौथी बार लखीसराय से चुनाव जीतने की उम्मीद करेंगे, वहीं चौधरी लगभग एक दशक बाद तारापुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
सीवान की हाई-प्रोफाइल सीट से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष 53 वर्षीय मंगल पांडे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. उनका मुकाबला राजद के अवध चौधरी से है, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं.
मैदान में बाहुबली
बिहार का कोई भी चुनाव बाहुबली राजनीति के बिना कैसे पूरा हो सकता है? इस बार भी कई बाहुबली मैदान में हैं. मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब (रघुनाथपुर) से लेकर जदयू के अनंत सिंह तक.
मोकामा में एक जन सुराज समर्थक की हत्या के बाद, जो एक सामान्य विधानसभा चुनाव की लड़ाई लग रही थी, वह दो बाहुबली नेताओं के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल गई है. हत्या के सिलसिले में जेल में बंद जदयू के अनंत सिंह, राजद के गैंगस्टर सूरजभान की पत्नी के साथ सीधी टक्कर में हैं.
महिलाओं को साधने की कोशिश
महिलाओं के निर्णायक मतदाता समूह के रूप में उभरने के साथ, दोनों पक्षों ने बड़े-बड़े वादे किए हैं. एनडीए ने जहां 10,000 रुपये की कैश ट्रांसफर योजना के साथ लोगों को लुभाया है, वहीं विपक्ष ने तेजस्वी यादव द्वारा ‘माई बहन मान योजना’ के तहत 30,000 रुपये देने के वादे के साथ जवाब दिया है.
यह चुनाव SIR की छाया में हो रहा है, जिसमें लगभग 60 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए. विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया हाशिए पर पड़े समुदायों के लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित करने का एक प्रयास है.
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