कश्मीरी छात्रों में ईरान का क्रेज, मेडिकल की पढ़ाई के लिए क्यों बन रहा पहली पसंद? सस्ती फीस समेत हैं कई वजहें

ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इस जंग से न केवल मिडिल ईस्ट बल्कि भारतीय छात्र भी प्रभावित हो रहे है. हर साल बहुत सारे भारतीय छात्र, खासकर कश्मीर से, ईरान में पढ़ने जाते हैं. वे ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते है. साल 2022 में करीब 2,050 भारतीय छात्र ईरान में मेडिकल कॉलेजों, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में पढ़ रहे थे.

कश्मीरी छात्रों में ईरान का क्रेज Image Credit: Canva

Indian Students in Iran: मिडिल ईस्ट जियोपॉलिटिकल संकट के दौर से गुजर रहा है. ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार एयरस्ट्राइक कर रहे हैं. इस जंग से न केवल मिडिल ईस्ट बल्कि भारतीय छात्र भी प्रभावित हो रहे है. हर साल बहुत सारे भारतीय छात्र, खासकर कश्मीर से, ईरान में पढ़ने जाते हैं. वे ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते है. साल 2022 में करीब 2,050 भारतीय छात्र ईरान में मेडिकल कॉलेजों, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में पढ़ रहे थे. ऐसे में आइए जानते है कि इतने सारे छात्र, खासकर कश्मीरी स्टूडेंट, ईरान क्यों जाते हैं?

ये हैं कारण

भारत में मेडिकल की सीटें बढ़ी हैं. साल 2014 में 51,000 MBBS सीटें थीं. यह साल 2024 में 1.18 लाख हो गईं. फिर भी, बहुत सारे छात्र विदेश जाते हैं. इसका बड़ा कारण है नीट-यूजी की कॉम्पीटीशन. साल 2024 में 22.7 लाख छात्रों ने नीट दिया. लेकिन केवल 1 लाख सीटें थीं. सरकारी कॉलेज में दाखिला मुश्किल है और प्राइवेट कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा है. विदेश में खासकर ईरान में पढ़ाई सस्ती है. कश्मीरी छात्रों के लिए ईरान खास आकर्षण रखता है. कश्मीर को “ईरान-ए-सगीर” (छोटा ईरान) कहा जाता है.

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कश्मीर और ईरान की संस्कृति, पहाड़, और परंपराएं मिलती-जुलती हैं. 13वीं सदी में ईरान से मीर सय्यद अहमद अली हमदानी कश्मीर आए थे. उन्होंने कालीन, पेपर-माशे, और केसर जैसी चीजें लाईं. इसके अलावा कश्मीर में शिया समुदाय और ईरान में शिया बहुलता की वजह से धार्मिक जुड़ाव भी है. ईरान कश्मीरी छात्रों को सस्ती पढ़ाई और आसान दाखिला देता है, खासकर “परगीज़ कोटा” के तहत. लेकिन विदेश में पढ़ाई के खतरे भी हैं.

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इतनी है फीस

  • कश्मीर घाटी के ज्यादातर छात्र ईरान के शहरों तेहरान, शिराज और किश में पढ़ाई करते हैं.
  • भारत में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री की लागत करीब 1 करोड़ रुपये है.
  • बांग्लादेश में MBBS की केवल ट्यूशन फीस लगभग 30 लाख रुपये है.
  • HT के मुताबिक ईरान में पूरी MBBS डिग्री की लागत करीब 30 लाख रुपये है.

आसानी से मिल जाता है दाखिला

कई विदेशी यूनिवर्सिटी में आसानी से दाखिला मिल जाता है, लेकिन कुछ यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों के लिए अलग कोर्स चलाती हैं. यह उस देश में प्रैक्टिस के लिए मान्य नहीं होते. भारत में प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (FMGE) पास करना जरूरी है. लेकिन इसका पास प्रतिशत कम है.

साल 2024 में सिर्फ 25.8% फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम पास कर पाए थे. भारत के नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने नियम बनाया है कि विदेश में पढ़ा कोर्स 54 महीने का होना चाहिए और उसी यूनिवर्सिटी में इंटर्नशिप करनी होगी. FMGE पास करने के बाद भी नौकरी पाना मुश्किल है. विदेश में कई बार प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और मरीजों की कमी होती है. इससे छात्रों का अनुभव कमजोर रहता है.

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