अभी तीन घंटे में क्लियर नहीं होगा आपका चेक, RBI ने बढ़ाई डेडलाइन; जनवरी 2026 से मिलनी थी सुविधा
भारतीय बैंकिंग सिस्टम में चेक क्लियरेंस को और तेज बनाने की योजना फिलहाल टल गई है. RBI ने 3 जनवरी 2026 से लागू होने वाली फास्टर चेक क्लियरेंस व्यवस्था के Phase 2 को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है. इस चरण के तहत बैंकों को चेक की इमेज मिलने के तीन घंटे के भीतर उसे अप्रूव या रिजेक्ट करना अनिवार्य होना था.
RBI cheque clearance: भारतीय बैंकिंग सिस्टम में चेक क्लियरेंस को और तेज बनाने की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम फिलहाल टल गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 3 जनवरी 2026 से लागू होने वाली फास्टर चेक क्लियरेंस व्यवस्था के Phase 2 को फिलहाल स्थगित कर दिया है. इस चरण के तहत बैंकों को चेक मिलने के बाद सिर्फ तीन घंटे के भीतर उसे अप्रूव या रिजेक्ट करना अनिवार्य होना था. हालांकि, RBI ने 24 दिसंबर 2025 को जारी एक सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि Phase 2 को अगले आदेश तक टाल दिया गया है और फिलहाल Phase 1 की व्यवस्था ही लागू रहेगी.
Phase 2 को क्यों टाला गया
RBI के अनुसार, कंटीन्यूअस क्लीयरिंग एंड सेटलमेंट यानी CCS फ्रेमवर्क के दूसरे चरण को लागू करने से पहले सिस्टम से जुड़े कुछ ऑपरेशनल पहलुओं की समीक्षा की जा रही है. इसी वजह से Phase 2 को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है. Phase 2 के तहत बैंकों पर समय का दबाव काफी बढ़ने वाला था, क्योंकि चेक की इमेज मिलने के बाद केवल तीन घंटे में फैसला लेना जरूरी होता. यदि बैंक तय समय के भीतर कोई जवाब नहीं देता, तो चेक को अपने आप अप्रूव मान लिया जाता और सेटलमेंट हो जाता.
Phase 1 की व्यवस्था जारी रहेगी
RBI ने साफ किया है कि Phase 1 के तहत जो व्यवस्था पहले से लागू है, वही आगे भी जारी रहेगी. Phase 1 को 4 अक्टूबर 2025 से लागू किया गया था. इस चरण में पारंपरिक बैच क्लियरिंग सिस्टम को हटाकर एक सिंगल और कंटीन्यूअस प्रेजेंटेशन विंडो शुरू की गई थी. इसके तहत बैंक दिन भर जैसे ही चेक प्राप्त करते हैं, उसकी इमेज और MICR डेटा स्कैन कर क्लियरिंग हाउस को भेज देते हैं, बजाय इसके कि तय समय के बैच का इंतजार किया जाए.
चेक प्रोसेसिंग के नए समय
RBI ने चेक प्रोसेसिंग के वर्किंग आवर्स में भी बदलाव किया है. अब चेक प्रेजेंटेशन विंडो सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक खुली रहेगी. वहीं, बैंक सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक चेक को अप्रूव या रिजेक्ट कर सकेंगे. यदि कन्फर्मेशन विंडो खत्म होने तक ड्रॉई बैंक की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है, तो चेक को अप्रूव माना जाएगा और सेटलमेंट हो जाएगा.
Phase 2 का मकसद क्या था
Phase 2 का उद्देश्य चेक क्लियरेंस को और ज्यादा तेज बनाना था. प्रस्तावित व्यवस्था के अनुसार, बैंकों को चेक की इमेज मिलने के तीन घंटे के भीतर फैसला लेना अनिवार्य होता. इससे ग्राहकों को पैसा पहले मिलने की उम्मीद थी और पूरे सिस्टम में स्पीड और एफिशिएंसी बढ़ती. यह चरण बैंकों को टेक्नोलॉजी और प्रोसेस दोनों स्तर पर ज्यादा चुस्त बनाने वाला था.
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