भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी, DII की दमदार खरीदारी से संभला बाजार

31 अक्टूबर को भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 6,769 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि घरेलू निवेशकों (DII) ने 7,068 करोड़ रुपये की खरीदारी कर बाजार को समर्थन दिया. निफ्टी और सेंसेक्स में हल्की गिरावट रही, लेकिन पीएसयू बैंकों के शेयर एफडीआई सीमा बढ़ाने की खबर से चमके.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली Image Credit: @AI/Money9live

FII and DII Buy and Sell Data: शुक्रवार, 31 अक्टूबर को भारतीय शेयर बाजार में विदेशी और घरेलू निवेशकों के बीच एक बार फिर अलग-अलग रुख देखने को मिला. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बाजार से बड़ी मात्रा में पैसे निकाले, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने भारी खरीदारी करते हुए बाजार को संभालने की भूमिका निभाई. एक्सचेंज से मिली शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, FII ने लगभग 6,769 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की, जबकि DII ने 7,068 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की. यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि विदेशी निवेशक फिलहाल भारत से दूरी बना रहे हैं, वहीं घरेलू निवेशक भरोसे के साथ बाजार में टिके हुए हैं.

किसने कितना खरीदा और कितना बेचा?

एफआईआई ने कुल 11,532 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे लेकिन 18,301 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए, जिससे कुल मिलाकर 6,769 करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो दर्ज हुआ. इसके उलट, डीआईआई ने 18,634 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 11,565 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे लगभग 7,068 करोड़ रुपये की नेट इनफ्लो दर्ज हुई. अगर पूरे साल 2025 के रुझान को देखा जाए, तो अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार से लगभग 2.40 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 6.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारतीय निवेशकों ने विदेशी बिकवाली के दबाव के बावजूद बाजार को मजबूती दी है.

कैसा रहा था शुक्रवार का बाजार?

बाजार की बात करें तो शुक्रवार के कारोबार में प्रमुख इंडेक्स में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. दिनभर के अस्थिर कारोबार के बाद निफ्टी 50 इंडेक्स 156 अंक यानी 0.6 फीसदी गिरकर 25,722 के स्तर पर बंद हुआ. सेंसेक्स में भी गिरावट दर्ज की गई. वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी मामूली कमजोरी रही. निफ्टी मिडकैप 100 में 0.1 फीसदी और स्मॉलकैप 100 में 0.2 फीसदी की गिरावट आई. हालांकि, PSU Banks के शेयरों में मजबूती देखने को मिली. निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 1.8 फीसदी चढ़ा, क्योंकि बाजार में यह खबर फैल रही है कि सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट यानी FDI की सीमा 20 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने पर विचार कर रही है. इस खबर ने बैंकिंग सेक्टर में उत्साह बढ़ाया और निवेशकों ने इन शेयरों में खरीदारी दिखाई.

क्या है रुझान?

संस्थागत निवेश के रुझान की बात करें तो पिछले कुछ महीनों से यह स्पष्ट दिख रहा है कि विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण वैश्विक ब्याज दरों को लेकर बनी अनिश्चितता, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल और उभरते बाजारों में रिस्क से बचने की प्रवृत्ति है. इसके विपरीत, घरेलू निवेशक लगातार खरीदारी जारी रखे हुए हैं. म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियां और खुदरा निवेशकों के एसआईपी में निरंतर निवेश के कारण डीआईआई का आत्मविश्वास बना हुआ है. यही वजह है कि विदेशी बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार को गिरावट से संभालने में सफलता मिल रही है.

क्यों हो रही बिकवाली?

विदेशी निवेशकों की बिकवाली के पीछे कई कारक काम कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्याज दरों में अस्थिरता, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त नीतियां और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने विदेशी निवेशकों के मन में अनिश्चितता बढ़ा दी है. वहीं दूसरी ओर, भारतीय कंपनियों के तिमाही परिणाम (Q2 FY26) ने अच्छे संकेत दिए हैं. खासकर एफएमसीजी, आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छे मुनाफे की रिपोर्ट्स आने से डीआईआई का भरोसा और मजबूत हुआ है.

कुल मिलाकर, अक्टूबर के आखिरी दिन भारतीय बाजार में कमजोरी दिखी, लेकिन यह भी साफ हुआ कि घरेलू निवेशक अब बाजार की रीढ़ बन चुके हैं. जब विदेशी निवेशक बाहरी दबावों और रिस्क से डरकर पूंजी निकाल रहे हैं, तब भारतीय निवेशक बाजार में स्थिरता ला रहे हैं. यह भरोसेमंद घरेलू पूंजी प्रवाह ही भारतीय इक्विटी बाजार को वैश्विक अस्थिरता के बीच भी मजबूती प्रदान कर रहा है.

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