LIC-अडानी मामले पर सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक बोले- इसके पीछे की मंशा को समझना होगा; BJP ने कहा- विदेशी ताकतों का हिट जॉब

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर एलआईसी ने अडानी ग्रुप में निवेश से जुड़े आरोपों को खारिज किया है. सेबी के पूर्व निदेशक जे.एन. गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट वकील ईशकरण भंडारी, बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला और विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने एलआईसी का बचाव करते हुए रिपोर्ट को भ्रामक, राजनीतिक और विदेशी हितों से प्रेरित बताया है.

LIC Image Credit: TV9 Bharatvarsh

भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अडानी ग्रुप में इसके निवेश बाहरी कारकों से प्रभावित थे. LIC ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की रिपोर्ट का उद्देश्य LIC के स्वतंत्र निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करना और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है. इसके बाद सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक जे. एन. गुप्ता, क्रॉफर्ड बेली एंड कंपनी के सीनियर पार्टनर संजय के. आषेर, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ईशकरण सिंह भंडारी और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एलआईसी का बचाव किया है.

निवेशकों को इस रिपोर्ट के पीछे की मंशा को समझाना होगा

सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक जे. एन. गुप्ता ने कहा, “जब से एलआईसी अस्तित्व में है, मैंने देखा है कि उसने पीएसयू, गैर-पीएसयू और निजी कंपनियों सभी में निवेश किया है. कई बार निजी कंपनियों में नुकसान हुआ तो कई बार पीएसयू में भी, लेकिन दोनों में मुनाफे भी हुए. मुझे याद है लगभग 8–10 साल पहले लोग कह रहे थे कि एचएएल मुश्किल में है, वेतन नहीं दे पाएगी.आज एचएएल का शेयर मूल्य तब की तुलना में 10 गुना है, यानी उसने अच्छा मुनाफा कमाया है.” उन्होंने कहा, “मुझे यह कहना होगा कि इस रिपोर्ट के संबंध में लोगों को इसके समय का विश्लेषण करना चाहिए. अन्य लोग भी इसका विश्लेषण कर सकते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि जो चाहे रिपोर्ट प्रकाशित कर देता है. बड़ा सवाल यह है कि इसे प्रकाशित करने के पीछे मंशा क्या थी, उद्देश्य क्या था और इसे इसी समय क्यों जारी किया गया. ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. हमारे देश के नागरिकों और निवेशकों को यह समझना चाहिए कि हर रिपोर्ट किसी न किसी उद्देश्य से प्रकाशित की जाती है. रिपोर्ट प्रकाशित करने वालों को लगता है कि भारतीय जनता या निवेशक भोले हैं- हमें उन्हें यह अवसर नहीं देना चाहिए.”


कुछ गलत नहीं

क्रॉफर्ड बेली एंड कंपनी के सीनियर पार्टनर संजय के. आषेर ने कहा, “भगवान ही जाने दूसरों को इसमें क्या दिक्कत है. अगर कोई बड़ा होता है और अग्रणी उद्योगपति या कारोबारी घराना बन जाता है, तो जाहिर है कि सबकी निगाहें उस पर रहती हैं और लोग उसकी हर गतिविधि में खामियां ढूंढने लगते हैं. यहां अडानी ने ऐसा कुछ गलत नहीं किया है. ”

विदेशी ताकतों द्वारा प्रायोजित हिट जॉब

एलआईसी द्वारा अडाणी समूह में 3.9 बिलियन डॉलर के निवेश की वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “यह आर्थिक मानसिक आतंकवाद की सोच और विदेशी ताकतों द्वारा प्रायोजित एक हिट जॉब का उदाहरण है.”

एलआईसी अच्छा प्रदर्शन कर रही है

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ईशकरण सिंह भंडारी ने कहा, “यह विवाद इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि एलआईसी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. आंकड़े यह दिखाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है- भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है और विकास तेजी से आगे बढ़ रहा है. लेकिन अगर किसी का उद्देश्य एलआईसी का लाभ नहीं बल्कि राजनीतिक स्वार्थ साधना या भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है, तो ऐसे लोग बार-बार सवाल उठाते रहेंगे.”

भारतीयों के भरोसेमंद संस्था को बार-बार निशाना बनाना बिल्कुल गलत

राजनीतिक विश्लेषक और कंसल्टेंट तहसीन पूनावाला ने कहा, “एलआईसी ने अदाणी ग्रुप में जो भी पैसा निवेश किया है, उससे उसे मुनाफा हुआ है, नुकसान नहीं. इसलिए एलआईसी जैसी पेशेवर और भारतीयों के भरोसेमंद संस्था को बार-बार निशाना बनाना बिल्कुल गलत है.”